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ऐसे बाँटें उजाला हम…

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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यह दीप ज्योति का त्योहार है,
जगमग जगमग दिखता संसार है।

नदियों में नहरों में,
प्यारी-प्यारी लहरों में
तैरते दीए देते सुख,
लगता बहुत मनोहार है।
यह उजाला बाँट कर,
जगमगाने और अभिनन्दन
करने का त्योहार है।

हम-सब मिलकर एक,
पराक्रम दिखाएं
राजा हो या कऺगले का घर,
ख़ुशी के हम दीप जलाएं।

यह दीप पर्व है सुंदर,
देता उल्लास-सुख-समृद्धि
हमें हर डगर पर,
संयुक्त परिवार की
परम्परा लिखती दिखती,
यहां हर समर पर।

हम आज़ प्रण लें,
स्वच्छ,सुंदर और शुद्ध तरीके से
यहां घर-घर में उजाला फैलाएं।

कऺगले का घर भी,
छूटने न पाए और मिलकर
हर घर के आँगन में।
मिल कर ख़ूब दीप जलाकर,,
खुशियाँ बटोरते हुए व,
वन्दन-अभिनन्दन करते हुए,
उजाले का पर्व मनाएं॥

परिचय-पटना(बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता,लेख,लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम.,एम.ए.(राजनीति शास्त्र,अर्थशास्त्र, हिंदी,इतिहास,लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी,एलएलएम,सीएआईआईबी, एमबीए व पीएच-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन)पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित अनेक लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं,जिसमें-क्षितिज,गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा संग्रह) आदि है। अमलतास,शेफालीका,गुलमोहर, चंद्रमलिका,नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति,चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा,लेखन क्षेत्र में प्रथम,पांचवां,आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।

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