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ऐसे ही बढ़ते रहे तो…

अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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ऐसे ही बढ़ते रहे तो आखिर होगा क्या,
देख कर आँख मूंदी तो आखिर होगा क्या ?

चारों ओर है महंगाई, कई संकट सामने खड़े,
लालन-पालन हुआ कठिन, आखिर होगा क्या ?

दूर की नहीं सोची तो पक्का रोना पड़ेगा,
समझी नहीं गर बात, तो आखिर होगा क्या ?

पढ़े-लिखे हो तो बात को समझो भी,
गर फर्ज नहीं निभाया तो आखिर होगा क्या ?

बहुत जरुरी है अब तो सीमित परिवार,
जिंदगी बचा लो अब भी, आखिर होगा क्या ?

चले जनसंख्या अभियान, तो करो अमल भी,
वक़्त पर नहीं सुधरे, तो आखिर होगा क्या ?

सही राह चलकर बनाओ सुनहरा भविष्य,
जब मिले न कोई लाभ, तो बढ़कर आखिर होगा क्या…?

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