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कारगिल की अमर जीत

उमेशचन्द यादव
बलिया (उत्तरप्रदेश) 
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कारगिल विजय दिवस स्पर्धा विशेष……….


हम कारगिल के समर विजय की गाथा गाते हैं,
भारत के वीर सपूतों की वीरता को बताते हैं।
जब पापी पाक ने अपनी गिद्ध दृष्टि लगाई हम पर,
तब भारत माँ के सपूतों ने बाज़ी जीती अपने दम पर।
सीमा पर वीर जवानों की एक झलक सुनाते हैं,
हम कारगिल के समर विजय की गाथा गाते हैं॥

सेना के सैनिक हरदम अपनी जान गँवाते हैं,
लेकिन माँ के दामन को वे खुद ही बचाते हैं।
कारगिल में जब पाक ने नापाक इरादा दिखलाया,
तब वीर लद्दाखी सेना ने मुँह के बल उसको गिराया।
भारत के वीर सपूत कभी ना पीठ दिखाते हैं,
हम कारगिल के समर विजय की गाथा गाते हैं॥

पाकिस्तानी काले नाग जब जब फन फैलाते हैं,
कारगिल में भी वे कूटे गए,आज कुचले जाते हैं।
जब लगी लड़ाई कारगिल में,तो मई महीना था
जहाँ जाती नज़र थी वीरों की,वहाँ बर्फ बिछौना था।
सरहद के वीर जवान अटल तब युक्ति लगाते हैं,
हम कारगिल के समर विजय की गाथा गाते हैं॥

ऊँची पहाड़ी से दुश्मन जब बम बरसाते हैं,
तब रेंगते ही वीर सभी रातों-रात चढ़ जाते हैं।
चढ़कर दुश्मन की छाती पर तिरंगा फहराया था,
सैकड़ों वीर जवानों ने तब जान गँवाई थी।
आतंकी पाकिस्तानी तब पीठ दिखाते हैं,
हम कारगिल के समर विजय की गाथा गाते हैं॥

पाकिस्तानी पापी सेना ले पीछे हट जाते हैं,
भारत की सेना के सामने ओ सिर झुकाते हैं।
जब मिली विजय तब तिथि छब्बीस,माह जुलाई था,
उन्नीस सौ निन्यानवे में हिंद सेना का जादू छाया था।
भारत के उन शहीदों को श्रद्धा सुमन चढ़ाते हैं
हम कारगिल के समर विजय की गाथा गाते हैं॥

कहें उमेश हम देश पर जी-जान लुटाते हैं,
है भारत भूमि बलिवेदी हम सिर चढ़ाते हैं।
जो भी हम पर अपनी कुदृष्टि लगाएगा,
मैं सच कहता हूँ यारों ओ दुनिया से जाएगा।
हम हरदम सुख शांति का सबको पाठ पढ़ाते हैं,
हम कारगिल के समर विजय की गाथा गाते हैं॥

परिचय-उमेशचन्द यादव की जन्मतिथि २ अगस्त १९८५ और जन्म स्थान चकरा कोल्हुवाँ(वीरपुरा)जिला बलिया है। उत्तर प्रदेश राज्य के निवासी श्री यादव की शैक्षिक योग्यता एम.ए. एवं बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-शिक्षण है। आप कविता,लेख एवं कहानी लेखन करते हैं। लेखन का उद्देश्य-सामाजिक जागरूकता फैलाना,हिंदी भाषा का विकास और प्रचार-प्रसार करना है।

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