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आओ विजय दिवस मनाएं…

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’
बूंदी (राजस्थान)
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कारगिल विजय दिवस स्पर्धा विशेष……….

दुश्मन हमसे हारा था,जीत अभियान हमारा था,

कारगिल जीता सारा था,जय-जय भारत नारा था।

करनी ऐसी कर दी भारी,

सीमा पर थी गोलाबारी।

पाक ने कर दी थी गद्दारी,

घुसपैठ सीमा पर थी जारी।

यह दुश्मन का इशारा था,बज गया युद्ध नगाड़ा था,

दुश्मन हमसे हारा था,जीत अभियान हमारा था।

कारगिल जीता सारा था,जय-जय भारत नारा थाll

मुशर्रफ चाहता सियाचिन हड़पे,

इसलिए भेजे घुसपैठी लड़के।

जो थे नाम जिहाद का करते,

पीछे पाक के सैनिक लड़ते।

पाक का खेल यह सारा था,यह नापाक नजारा था,

दुश्मन हमसे हारा था,जीत अभियान हमारा था।

कारगिल जीता सारा था,जय-जय भारत नारा थाll

दुश्मन भीतर तक घुस आया,

देश पर युद्ध का संकट छाया।

अटल ने अटल इरादा दिखाया,

सेना ने आगे कदम बढ़ाया।

विजय अभियान प्रहारा था,पाक का घमंड उतारा था,

दुश्मन हमसे हारा था,जीत अभियान हमारा था।

कारगिल जीता सारा था,जय-जय भारत नारा थाll

तीन माह तक युद्ध था जारी,

भारत सेना पाक पर भारी।

देश को देशभक्ति थी प्यारी,

पाक को हार मिली थी करारी।

शहीदों को भारत प्यारा था,तन-मन इस पर वारा था,

दुश्मन हमसे हारा था,जीत अभियान हमारा था।

कारगिल जीता सारा था,जय-जय भारत नारा थाll

ये थी कारगिल की कहानी,

बरसों बरस न होगी पुरानी।

गौरव खून में भरती रवानी,

गाथा वीरों की आप बखानी।

जीत का जश्न वो प्यारा था,कारगिल सारा हमारा था,

दुश्मन हमसे हारा था,जीत अभियान हमारा था।

कारगिल जीता सारा था,जय-जय भारत नारा थाll

आओ विजय दिवस वो मनाएं,

शहीदों को पुण्य प्रसून चढ़ाएं।

मन से कसम आज यह खाएं,

कश्मीर हक से अपना कहाएं।

वो तो कब से हमारा था,पाक ने पैर पसारा था,

दुश्मन हमसे हारा था,जीत अभियान हमारा था।

कारगिल जीता सारा था,जय-जय भारत नारा थाll

 

परिचय–आप लेखन क्षेत्र में डी.कुमार’अजस्र’ के नाम से पहचाने जाते हैं। दुर्गेश कुमार मेघवाल की जन्मतिथि-१७ मई १९७७ तथा जन्म स्थान-बूंदी (राजस्थान) है। आप राजस्थान के बूंदी शहर में इंद्रा कॉलोनी में बसे हुए हैं। हिन्दी में स्नातकोत्तर तक शिक्षा लेने के बाद शिक्षा को कार्यक्षेत्र बना रखा है। सामाजिक क्षेत्र में आप शिक्षक के रुप में जागरूकता फैलाते हैं। लेखन विधा-काव्य और आलेख है,और इसके ज़रिए ही सामाजिक मीडिया पर सक्रिय हैं।आपके लेखन का उद्देश्य-नागरी लिपि की सेवा,मन की सन्तुष्टि,यश प्राप्ति और हो सके तो अर्थ प्राप्ति भी है। २०१८ में श्री मेघवाल की रचना का प्रकाशन साझा काव्य संग्रह में हुआ है। आपकी लेखनी को बाबू बालमुकुंद गुप्त साहित्य सेवा सम्मान-२०१७ सहित अन्य से सम्मानित किया गया है|

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