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समाधान आसान नहीं

तारा प्रजापत ‘प्रीत’
रातानाड़ा(राजस्थान) 
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क्यों मुफ़लिस लाचार बने हैं,
काटे जा रहे वृक्ष घने हैं,
रहने लायक जहां नहीं है,
समाधान आसान नहीं है।

भीड़ मंदिर में लगी हुई है,
दान पेटियां भरी हुई हैं
देते हैं पर दान नहीं है,
समाधान आसान नहीं है।

दूर करेंगे समस्या कैसे,
नेता हो जो अभिनेता जैसे
गांधी जैसा महान नहीं है,
समाधान आसान नहीं है।

नहीं किसी का दर्द समझते,
पलक झपकते रंग बदलते
बन गए मुर्दे, जान नहीं,
समाधान आसान नहीं है।

लगा मुखौटे मुख पर चलते,
मूर्ख ख़ुद, ख़ुद को ही छलते
निज स्वरूप का भान नहीं है,
समाधान आसान नहीं है।

रिश्तों की मर्यादा टूटी
माँ-बहनों की अस्मत लूटी
पशु है वो इंसान नहीं है,
समाधान आसान नहीं है।

मतलब के सब रिश्ते-नाते,
हैलो-हाय बस आते-जाते
जान तो है पहचान नहीं है,
समाधान आसान नहीं है।

फुटपाथ पर पड़े हैं कितने,
चाँद पे रहने के देखते सपने
धरती पर मकान नहीं है,
समाधान आसान नहीं है।

दूल्हों की यहाँ लगती बोली,
तब उठती दुल्हन की डोली।
वर तो है वरदान नहीं है,
समाधान आसान नहीं है॥

परिचय– श्रीमती तारा प्रजापत का उपनाम ‘प्रीत’ है।आपका नाता राज्य राजस्थान के जोधपुर स्थित रातानाड़ा स्थित गायत्री विहार से है। जन्मतिथि १ जून १९५७ और जन्म स्थान-बीकानेर (राज.) ही है। स्नातक(बी.ए.) तक शिक्षित प्रीत का कार्यक्षेत्र-गृहस्थी है। कई पत्रिकाओं और दो पुस्तकों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं,तो अन्य माध्यमों में भी प्रसारित हैं। आपके लेखन का उद्देश्य पसंद का आम करना है। लेखन विधा में कविता,हाइकु,मुक्तक,ग़ज़ल रचती हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी पर कविताओं का प्रसारण होना है।

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