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किसानों को समृद्ध बनाने में बहुत कुछ करना बाकी

गोवर्धन दास बिन्नाणी ‘राजा बाबू’
बीकानेर(राजस्थान)
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मेरे देश का किसान स्पर्धा विशेष…..

अनादिकाल से ही सभी जगह धरती पर कृषि का प्रचलन है,साथ ही उस समय से ही कृषि कार्य करने वाले को कृषक कह कर पुकारने लगे। कालान्तर में साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं में कृषक को भूमिपुत्र,हलधर,खेतिहर,अन्नदाता के अलावा किसान नाम से भी सम्बोधित किया।
सर्वविदित है कि अमीर हो या गरीब,राजा हो या उद्योगपति सभी के लिए अन्न बहुत महत्वपूर्ण है। यही अन्न किसान दिन-रात गर्मी,बारिश,ठंड की परवाह किए बिना अपने खेतों में श्रम से उगाता है,जिससे स्पष्ट है कि किसान बहुत परिश्रमी होते हैं। खेतों में कृषि कार्य के लिए उन्हें घर के सदस्यों के अलावा अन्य मजदूरों की सेवाओं के साथ पशुओं की भी सेवाएँ लेनी ही पड़ती हैं।
किसान न केवल अन्न उगाता है,बल्कि ऐसी उपज भी जो उद्योगों को बढ़ावा देने में सहायक हैं। ऐसी अनेक उपज हैं जिसके चलते हमारी जनसंख्या का एक बहुत बड़ा भाग इन उपजों से सम्बन्धित उद्योगों में कार्यरत है। इसलिए हम यदि इन्हें उद्योग सहयोगी कह कर पुकारें तो ज्यादा उचित रहेगा।
हाल के दिनों में कृषि लागत बहुत बढ़ गई है और उस अनुरूप कृषि उत्पाद का मूल्य नहीं मिल रहा है। यही कारण है कि समय-समय पर किसान अवसाद ग्रसित हो आत्महत्या तक कर लेते हैं। हालाँकि सरकार ने इनके लाभार्थ कई कदम उठाए हैं। न्यूनतम सर्मथन मूल्य निर्धारित कर इनको लाभ पहुँचाने की चेष्टा करती है,लेकिन यह सभी तक नहीं पहुँच पा रहा है। ऐसे ही सस्ते ब्याज पर ऋण उपलब्ध करवा कर राहत देने का प्रयास है।
उपज बढ़ाने के लिए खाद की आवश्यकता होती है और शुरुआती समय में खाद के रूप में हड्डियाँ,काठ की राख,मछलियाँ और चूना पत्थर प्रयुक्त होते थे,क्योंकि उस समय उर्वरक का ज्ञान नहीं था,लेकिन आजकल सरकारें मिट्टी अनुरूप तरह-तरह के उन्नत उर्वरक उपलब्ध करवाने में सहायक हो रही हैं। इसी प्रकार उन्नत किस्म के बीज भी उपलब्ध कराए जाते हैं। किसानों को शोषणकारी बिचौलियों के चंगुल से मुक्त करने का प्रयास भी जारी है ।
सभी मानेंगे कि,भारत का कल्याण किसानों पर ही निर्भर करता है। इसलिए सभी सरकारों का दायित्व बनता है कि इस क्षेत्र पर समुचित ध्यान दें,क्योंकि कृषि अपने-आपमें चुनौतीपूर्ण और मुश्किल पेशा है और आज भी किसानों के मुद्दों को हल करने,उन्हें समृद्ध बनाने में बहुत कुछ करना बाकी है। इसमें प्रमुख रूप से भूमि-सुधार,बिचौलियों को समाप्त करने,आधुनिक तकनीक को देश के सभी क्षेत्रों तक पहुँचाने सहित बड़े पैमाने पर पूँजी निवेश वगैरह के साथ किसानों को साक्षर बना कर उन्हें खेती की आधुनिक विधि सिखाने के अलावा सस्ते दर पर ऋण उपलब्ध करवाने पर ध्यान देना अति आवश्यक है।
आने वाले समय में किसानों को मौसम की सही जानकारी के साथ सही कृषि सलाह उपलब्ध हो जाने से उत्पाद का सही मूल्य मिल पाएगा,जिससे उनके जीवन स्तर यानि आर्थिक स्थिति में भी काफी हद तक परिवर्तन दृष्टिगोचर होगा।

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