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कैसे परिवारों की साँस बचाए ?

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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किस कारण से आई मँहगाई,
निर्धन, गरीब ,समझ नहीं पाए
परेशान हूँ जब से आई मँहगाई,
कैसे परिवारों की साँस बचाए ?

ऊॅ॑ची कुर्सी, बड़ों का क्या कहना,
महंगाई तो गरीबों को है सहना
सुबह खाएं, रात के लिए रोते हैं,
कुछ नहीं मिले तो यूँ ही सोते हैं।

कन्यादान रोक दिया इसने भाई,
दहेज ले के बिटिया, जान गंवाई
हाय मँहगाई, तुम कहाँ से आई,
आम आदमी को खूब ही रुलाई।

मँहगाई आम आदमी झेलते हैं,
अच्छे दिन आएंगे यही कहते हैं।
भारती पुत्र हूँ सह लूँगा मँहगाई,
साथ देंगे हमारे बच्चे और लुगाई॥

परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है |

 

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