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खेल भावना हो सही

बोधन राम निषाद ‘राज’ 
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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खेल भावना हो सही,तभी मिलेगा मान।
रौशन होगा नाम फिर,दुनिया हो हैरानll

खेलो देश विदेश में,लहरे परचम आज।
रहे सभी सदभावना,करें सभी फिर नाजll

अपने लिए नहीं वरन,खेल देश सम्मान।
गर्व करो तुम देशहित,खुद का होगा मानll

कपट-द्वेष मन में नहीं,सबमें प्रेम समाय।
यही खेल की भावना,जिससे सब हर्षायll

हार-जीत का खेल है,जीते कोई एक।
हार,हार का लो पहन,जीतो दिल प्रत्येकll

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