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खो गया समय

डॉ.शैल चन्द्रा
धमतरी(छत्तीसगढ़)
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“हैलो,हाँ यार अनिल,मैं शहर पहुँच चुका हूँ। तुम कहाँ हो ?” राजेश अपने मित्र को फोन पर पूछ रहा था।
कई वर्षों बाद वह किसी काम से भिलाई आया था। इसी शहर में उसने उच्च शिक्षा प्राप्त की थी। यहां वह हॉस्टल में रहा, पर उसके बहुत सारे मित्र इसी शहर के थे। वह अपने मित्रों से मिलने की सोच कर रोमांचित हो रहा था।
उधर मित्र फोन पर कह रहा था,-“ओह,हाँ यार,तुम्हारे आने की बात मालूम थी,पर क्या करूँ आज एक जरुरी काम में फंस गया हूँ। कभी मिलते हैं फिर…।”
राजेश ने पुनः एक दूसरे मित्र को फोन लगाया। उधर मित्र फोन पर कह रहा था- “ओह! यार क्या करूँ। आज बुआ के यहां सगाई है। बस यहीं बिज़ी हूँ। मिलते हैं न फिर कभी।”
मित्र का यह जवाब सुनकर वह मौन रह गया।
उसने लगातार अपने आठ-दस मित्रों को फोन लगाया,पर ये क्या ? सब कहीं न कहीं अपनी दुनिया में व्यस्त थे। राजेश का तो कल ही काम पूरा हो गया था। जिस उद्देश्य से वह यहां आया हुआ था,पर मित्रों से मुलाकात करने की हार्दिक चाह ने उसे एक दिन और रोक लिया था।
उसने घर पर फोन लगाया और पत्नी से कहा,-“सुनो सीमा, मैं आज ही वापस आ रहा हूँ।”
“अच्छा,पर आप तो आज रुकने वाले थे। अपने बचपन के मित्रों से मुलाकात करने वाले थे। क्या हुआ ?” पत्नी पूछ रही थी।
“हाँ,मित्रों से मुलाकात तो करना था पर जानती हो न। आज कौन फ्री बैठा है। सभी अपनी-अपनी ज़िंदगी में इस कदर व्यस्त हैं कि किसी के पास किसी के लिए भी अब समय नहीं है।” यह कहते हुए वह दुःखी मन से उस शहर से लौटने लगा।

परिचय-डॉ.शैल चन्द्रा का जन्म १९६६ में ९ अक्टूम्बर को हुआ है। आपका निवास रावण भाठा नगरी(जिला-धमतरी, छतीसगढ़)में है। शिक्षा-एम.ए.,बी.एड., एम.फिल. एवं पी-एच.डी.(हिंदी) है।बड़ी उपलब्धि अब तक ५ किताबें प्रकाशित होना है। विभिन्न कहानी-काव्य संग्रह सहित राष्ट्रीय स्तर के पत्र-पत्रिकाओं में डॉ.चंद्रा की लघुकथा,कहानी व कविता का निरंतर प्रकाशन हुआ है। सम्मान एवं पुरस्कार में आपको लघु कथा संग्रह ‘विडम्बना’ तथा ‘घर और घोंसला’ के लिए कादम्बरी सम्मान मिला है तो राष्ट्रीय स्तर की लघुकथा प्रतियोगिता में सर्व प्रथम पुरस्कार भी प्राप्त किया है।सम्प्रति से आप प्राचार्य (शासकीय शाला,जिला धमतरी) पद पर कार्यरत हैं।

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