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शर्म करो

केवरा यदु ‘मीरा’ 
राजिम(छत्तीसगढ़)
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राम-रहीम की धरती पर यूँ न अधर्म करो,
बहन-बेटियों को मत नोंचो,कुछ तो शर्म करो।

वह भी किसी की बेटी है,
जिस कोख से तूने जन्म लिया।
अरे नराधम तुमने तो उस,
कोख को लज्जित आज किया।
बेटी है देवी की मूरत यूँ न कुकर्म करो॥
बहन-बेटियों को मत नोंचो…

नवरातों में पाँव पूज कर,
क्यों तुम ढोंग रचाते हो ।
उनकी बेटी तेरी बेटी,
फिर क्यों नोंच के खाते हो।
अरे दरिदों रब से डरो,
या फिर ड़ूब मरो॥
बहन-बेटियों को मत नोंचो…

बेटी तो तुलसी आँगन की,
बेटी सीता राधा है।
जिस घर जन्म बेटी लेती,
कट जाती हर बाधा है।
तड़पे न बेटी बहन धरा पे,
तुम ऐसे शुभ कर्म करो॥
बहन-बेटियों को मत नोंचो…

राम-कृष्ण की धरती पर,
न यूँ अधर्म करो।
बहन-बेटियों को मत नोंचो,
कुछ तो शर्म करो॥

परिचय-केवरा यदु का साहित्यिक उपनाम ‘मीरा’ है। इनकी जन्म तारीख २५ अगस्त १९५४ तथा जन्म स्थान-ग्राम पोखरा(राजिम)है। आपका स्थाई और वर्तमान बसेरा राजिम(राज्य-छत्तीसगढ़) में ही है। स्थानीय स्तर पर विद्यालय के अभाव में आपने बहुत कम शिक्षा हासिल की है। कार्यक्षेत्र में खुद का व्यवसाय है। सामाजिक गतिविधि के तहत महिलाओं को हिंसा से बचाना एवं गरीबों की मदद करना प्रमुख कार्य है। भ्रूण हत्या की रोकथाम के लिए ‘मितानिन’ कार्यक्रम से जुड़ी हैं। आपकी लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल सहित भजन है। १९९७ में श्री राजीवलोचन भजनांजली,  २०१५ में काव्य संग्रह-‘सुन ले जिया के मोर बात’,२०१६ में देवी भजन (छत्तीसगढ़ी में)सहित २०१७ में सत्ती  चालीसा का भी प्रकाशन हो चुका है। लेखनी के वास्ते आपने सूरज कुंवर देवी सम्मान,राजिम कुंभ में सम्मान,त्रिवेणी संगम साहित्य सम्मान सहित भ्रूण हत्या बचाव पर सम्मान एवं हाइकु विधा पर भी सम्मान प्राप्त किया है। केवरा यदु के लेखन का उद्देश्य-नारियों में जागरूकता लाना और बेटियों को प्रोत्साहित करना है। इनके जीवन में प्रेरणा पुंज आचार्यश्रीराम शर्मा (शांतिकुंज,हरिद्वार) व जीवनसाथी हुबलाल यदु हैं। 

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