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गुरु की महिमा महान

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’
धनबाद (झारखण्ड) 
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गुरु की महिमा गुरु ही जाने,
मैं तो बात बता रहा हूँ अपनी
माता-पिता ने मुझे दिया जीवन,
गुरुजी मुझे आपने बताया ज्ञान।

मैं था बस एक जड़ समान,
मुझमें न था तनिक भी ज्ञान
आपने पकड़ कर चलना सिखाया,
ज्ञान दे जीवन में आगे बढ़ाया।

आज मेरी जग में धाक है,
मन मेरा बिल्कुल पाक है
पाक मन का बस एक सहारा,
गुरु आशीर्वाद से मेरा जग न्यारा।

मेरे जीवन में न आए होते गुरूजी,
मेरा कल्याण होता कैसे शुरू जी
न मिलता साथ तो होता मैं बेकार,
पशु समान होता रहता मैं शर्मसार।

आपकी महिमा को मैं भूल न पाऊँगा,
ईश्वर को भी नमन करने से भी पहले
आपका नाम ले आपको नमन करके,
कृपा से आपकी जग महान कहलाऊँगा।

गुरु जी आपको है शत-शत नमन,
साक्षी मान ईश्वर से करता हूँ मनन।
गुरु कृपा और गुरु ज्ञान से हो कल्याण,
गुरु की महिमा महान गुरु की महिमा महान॥

परिचय– साहित्यिक नाम `राजूराज झारखण्डी` से पहचाने जाने वाले राजू महतो का निवास झारखण्ड राज्य के जिला धनबाद स्थित गाँव- लोहापिटटी में हैL जन्मतारीख १० मई १९७६ और जन्म स्थान धनबाद हैL भाषा ज्ञान-हिन्दी का रखने वाले श्री महतो ने स्नातक सहित एलीमेंट्री एजुकेशन(डिप्लोमा)की शिक्षा प्राप्त की हैL साहित्य अलंकार की उपाधि भी हासिल हैL आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(विद्यालय में शिक्षक) हैL सामाजिक गतिविधि में आप सामान्य जनकल्याण के कार्य करते हैंL लेखन विधा-कविता एवं लेख हैL इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति भावना को विकसित करना हैL पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैंL विशेषज्ञता-पढ़ाना एवं कविता लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।