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चंद्रयान

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’
बरेली(उत्तर प्रदेश)
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कहता था कवि कभी प्रेयसी से-
“चाँद पर घर बनाऊँगा”,
इसरो ने किया वादा,सपना मैं सजाऊँगा।
आज अभिनंदन हर जन कर रहा,
छोड़ दिया चंद्रयान-२,घर वहीं बनाऊँगा।

दुनिया पग में काँटे लाख बिछाए,
लाख करे बदनाम,संघर्ष कर लड़ जाऊँगा।
नहीं चाहिए साथ किसी का,न किसी का नाम,
अपने दम पर चंद्रयान बना,चाँद पर टिक जाऊँगा।

सुनी थी बचपन में कविता चाँद का झिंगोला,
झिंगोला सिलने को चाँद का नाप ले के आऊँगा।
अभिनंदन है उनको जो तिरंगा चाँद पर लहराए,
कम नहीं वो किसी सैनिक से,देश को चाँद पर जो ले जाएl

नहीं कम कारगिल युद्ध से,जो चंद्रयान-२ बनाए,
इस जहाँ से उस जहाँ तक तिरंगा मैं लहराऊंगा।
मेरे सैनिक(वैज्ञानिक)न चाहे धन न नाम,
बस वतन अपने को,सबसे ऊपर ले जाऊँगाll

परिचय-गीतांजली वार्ष्णेय का साहित्यिक उपनाम `गीतू` है। जन्म तारीख २९ अक्तूबर १९७३ और जन्म स्थान-हाथरस है। वर्तमान में आपका बसेरा बरेली(उत्तर प्रदेश) में स्थाई रूप से है। हिन्दी-अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाली गीतांजली वार्ष्णेय ने एम.ए.,बी.एड. सहित विशेष बी.टी.सी. की शिक्षा हासिल की है। कार्यक्षेत्र में अध्यापन से जुड़ी होकर सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत महिला संगठन समूह का सहयोग करती हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,लेख,कहानी तथा गीत है। ‘नर्मदा के रत्न’ एवं ‘साया’ सहित कईं सांझा संकलन में आपकी रचनाएँ आ चुकी हैं। इस क्षेत्र में आपको ५ सम्मान और पुरस्कार मिले हैं। गीतू की उपलब्धि-शहीद रत्न प्राप्ति है। लेखनी का उद्देश्य-साहित्यिक रुचि है। इनके पसंदीदा हिंदी लेखक-महादेवी वर्मा,जयशंकर प्रसाद,कबीर, तथा मैथिलीशरण गुप्त हैं। लेखन में प्रेरणापुंज-पापा हैं। विशेषज्ञता-कविता(मुक्त) है। हिंदी के लिए विचार-“हिंदी भाषा हमारी पहचान है,हमें हिंदी बोलने पर गर्व होना चाहिए,किन्तु आज हम अपने बच्चों को हिंदी के बजाय इंग्लिश बोलने पर जोर देते हैं।”

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