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छुआछूत और ऊंच-नीच

अमल श्रीवास्तव 
बिलासपुर(छत्तीसगढ़)

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विश्व एक परिवार हमारा,
घर,वसुंधरा सारी है।
चाहे-अनचाहे,सुख-दुःख में,
सबकी साझेदारी है॥

जितनी बड़ी सृष्टि यह सारी,
उतनी बड़ी समस्याएं।
रीति-रिवाजों में घुस बैठीं,
रुढ़िवादी परंपराएं॥

इस दहेज ने जला दी है,
कितनी क्यारी,फुलवारी ?
करवट बदल-बदल कर जागीं,
कितनी आशा,सुकुमारी॥

कहीं-कहीं तो महिलाओं को,
केवल भोग्या बना दिया।
बच्चे जनने की मशीन है,
ऐसा लेवल लगा दिया॥

बुर्के के पीछे नारी को,
घुट-घुट कर जीना पड़ता।
बहु विवाह से,बहु प्रजनन से,
गमे-घूंट पीना पड़ता॥

कभी-कभी तो इस बुर्के में,
आतंकी छिप जाते हैं।
लोकतंत्र की हत्या कर,
भीषण उत्पात मचाते हैं॥

पर्दे ने भी कुछ सीमा तक,
बांध दिया है नारी को।
क्षमता,प्रतिभा दरकिनार कर,
कुंठित किया बिचारी को॥

तीन तलाक,हवाला जैसी,
क्रूर प्रथाएं प्रचलित हैं।
प्रगतिशील कहलाने वाली,
दुनिया इनसे विचलित है॥

छुआछूत,और ऊंच-नीच की,
कुछ घटनाएं मिलती हैं।
बाल विवाह,देवदासी की,
झलक अभी भी दिखती है॥

स्वार्थ सिद्धि के लिए बिचारे,
पशु की बली चढ़ाते हैं।
मार-काट कर जीवों को,
त्योहारे जश्न मनाते हैं॥

मृत्यु भोज भी कहीं-कहीं पर,
दुष्प्रभाव दिखलाता है।
बेबस,लाचारों के ऊपर,
बोझ कर्ज का आता है॥

खर्चीली शादियां मनुज को,
बेईमान बनाती हैं।
आग लगाने को पैसों में,
भ्रष्टाचार कराती हैं॥

भिक्षाटन व्यवसाय बन गया,
भागे हुए आलसियों का।
ठगों,कामचोरों ने छीना,
हक असहाय साथियों का॥

फैशन ने भी काफी हद तक,
अपना असर दिखाया है।
सिकुड़-सिकुड़ कर घटता कपड़ा,
आधे तन तक आया है॥

मदिरा,मांस,तामसी भोजन,
से महफिलें सजाते हैं।
भजन,कीर्तन करते-करते,
गांजा,भांग चढ़ाते हैं॥

देखा-देखी बहुत लोग अब,
आभूषण बनवाते हैं।
आत्म प्रदर्शन की लिप्सा में,
भारी क्षति उठाते हैं॥

विधवाओं को पुनर्वास करने,
का हक क्या नहीं मिले ?
मुरझाई डाली को खिलने,
का अवसर क्या नहीं मिले ?

आओ सब मिल करें प्रतिज्ञा,
अब कुछ कर दिखलाएंगे।
जो कुरीतियां व्याप्त जगत में,
उनकी जड़ें मिटाएंगे॥

परिचय–प्रख्यात कवि,वक्ता,गायत्री साधक,ज्योतिषी और समाजसेवी `एस्ट्रो अमल` का वास्तविक नाम डॉ. शिव शरण श्रीवास्तव हैL `अमल` इनका उप नाम है,जो साहित्यकार मित्रों ने दिया हैL जन्म म.प्र. के कटनी जिले के ग्राम करेला में हुआ हैL गणित विषय से बी.एस-सी.करने के बाद ३ विषयों (हिंदी,संस्कृत,राजनीति शास्त्र)में एम.ए. किया हैL आपने रामायण विशारद की भी उपाधि गीता प्रेस से प्राप्त की है,तथा दिल्ली से पत्रकारिता एवं आलेख संरचना का प्रशिक्षण भी लिया हैL भारतीय संगीत में भी आपकी रूचि है,तथा प्रयाग संगीत समिति से संगीत में डिप्लोमा प्राप्त किया हैL इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकर्स मुंबई द्वारा आयोजित परीक्षा `सीएआईआईबी` भी उत्तीर्ण की है। ज्योतिष में पी-एच.डी (स्वर्ण पदक)प्राप्त की हैL शतरंज के अच्छे खिलाड़ी `अमल` विभिन्न कवि सम्मलेनों,गोष्ठियों आदि में भाग लेते रहते हैंL मंच संचालन में महारथी अमल की लेखन विधा-गद्य एवं पद्य हैL देश की नामी पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैंL रचनाओं का प्रसारण आकाशवाणी केन्द्रों से भी हो चुका हैL आप विभिन्न धार्मिक,सामाजिक,साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े हैंL आप अखिल विश्व गायत्री परिवार के सक्रिय कार्यकर्ता हैं। बचपन से प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पुरस्कृत होते रहे हैं,परन्तु महत्वपूर्ण उपलब्धि प्रथम काव्य संकलन ‘अंगारों की चुनौती’ का म.प्र. हिंदी साहित्य सम्मलेन द्वारा प्रकाशन एवं प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा द्वारा उसका विमोचन एवं छत्तीसगढ़ के प्रथम राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय द्वारा सम्मानित किया जाना है। देश की विभिन्न सामाजिक और साहित्यक संस्थाओं द्वारा प्रदत्त आपको सम्मानों की संख्या शतक से भी ज्यादा है। आप बैंक विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. अमल वर्तमान में बिलासपुर (छग) में रहकर ज्योतिष,साहित्य एवं अन्य माध्यमों से समाजसेवा कर रहे हैं। लेखन आपका शौक है।

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