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छुपो नहीं किवाड़ में

डॉ.नीलिमा मिश्रा ‘नीलम’ 
इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश)

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(रचना शिल्प:१२१ २१२ १२१ २१२ १२१ २१२)
चले जो लेखनी लिखे नवीन छंद कल्पना,
समाज को मिले दिशा करूँ नवीन सर्जना।

चुनाव की सभी दिशा हवा फ़िज़ा बहार है,
सभी लगा रहे क़यास कौन दावेदार है।

जरा रुकें जरा सुनें,जरा इसे जगाइये,
ज़मीर को जगाइये जवाब आप पाइये।

अभी-अभी दिया किसी शरीफ़ ने बयान है,
नहीं नहीं सहो नहीं,ख़िलाफ़ती बयान है।

जया सुनो,प्रदा सुनो सहो नहीं दरिंदगी,
तमाम भेड़िये छुपे समाज में दरिंदगी।

नक़ाब औरतों उखाड़ फेंक दो कबाड़ में,
जवाब दो सटीक-सा,छुपो नहीं किवाड़ में।

उठो बनो कि दुर्गमा,बनो महान कालिका,
प्रचंड वेग से उठो हिले भवन अट्टालिका।

खिले कली बने गुलाब,आब हो ख़िताब हो,
पढ़ें सभी किताब में हमें मिला रुआब हो।

परिचय-डॉ.नीलिमा मिश्रा का साहित्यिक नाम नीलम है। जन्म तारीख १७ अगस्त १९६२ एवं जन्म स्थान-इलाहाबाद है। वर्तमान में इलाहाबाद स्थित साउथ मलाका (उत्तर प्रदेश) बसी हुई हैं। स्थाई पता भी यही है। आप एम.ए. और पी-एच.डी. शिक्षित होकर केन्द्रीय विद्यालय (इलाहाबाद) में नौकरी में हैं। सामाजिक गतिविधि के निमित्त साहित्य मंचन की उपाध्यक्ष रहीं हैं। साथ ही अन्य संस्थाओं में सचिव और सदस्य भी हैं। इनकी लेखन विधा-सूफ़ियाना कलाम सहित ग़ज़ल,गीत कविता,लेख एवं हाइकु इत्यादि है। एपिग्रेफिकल सोसायटी आफ इंडिया सहित कई पत्र-पत्रिका में विशेष साक्षात्कार तथा इनकी रचनाओं का प्रकाशन हो चुका है। ब्लॉग पर भी लिखने वाली डॉ. मिश्रा की विशेष उपलब्धि-विश्व संस्कृत सम्मेलन (२०१५,बैंकाक-थाईलैंड)और कुम्भ मेले (प्रयाग) में आयोजित विश्व सम्मेलन में सहभागिता है। लेखनी का उद्देश्य-आत्म संतुष्टि और समाज में बदलाव लाना है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-डॉ. कलीम कैसर हैं। इनकी विशेषज्ञता-ग़ज़ल लेखन में है,तो रुचि-गायन में रखती हैं। 

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