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जागो ऐ मातृभूमि के बेटों

कविता जयेश पनोत
ठाणे(महाराष्ट्र)
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गणतंत्र दिवस विशेष…..


ऐ मातृभूमि के बेटों जागो-जागो,
चलो उठा लो बोझ अपने कंधों पर
इस मातृभूमि की रक्षा में,
कर दो प्राण समर्पित।

भारत माँ के लाल जागो…
अब वक्त नहीं है सोने का
यह जीवन नहीं है खोने का,
अपने जीवन के इस दौर को
अब इतिहास के स्वर्णिम,
पन्नो से सजा लो।

अब यूँ न व्यर्थ अत्याचार सहना,
अब न औरों पर निर्भर रहना
दिल में जोश भर अब सीख लो,
अपना लहू बहाकर रक्षा करना।

तोड़ डालो रिश्ते नफरतों के,
दिल में लहरें प्रेम की भर
इस देश की शान्ति के लिए,
कर दो तन मन,धन और
यह जीवन समर्पित।
और विश्व शान्ति के,
इस मूल मंत्र को अपना
अपना जीवन धन्य बना दो॥

परिचयकविता जयेश पनोत का बसेरा महाराष्ट्र राज्य के मुम्बई स्थित खारकर अली रोड पर है। १ फरवरी १९८४ को क्षिप्रा (देवास-मप्र)में जन्मीं कविता का स्थाई निवास मुम्बई ही है। आपको हिन्दी,इंग्लिश, गुजराती सहित मालवी भाषा का ज्ञान भी है। जिला-ठाणे वासी कविता पनोत ने बीएससी (नर्सिंग-इंदौर,म.प्र.)की शिक्षा हासिल की है। आपका कार्य क्षेत्र-नर्स एवं नर्सिंग प्राध्यापक का रहा,जबकि वर्तमान में गृहिणी हैं। लेखन विधा-कविता एवं किसी भी विषय पर आलेखन है। १९९७ से लेखन में रत कविता पनोत की रचनाएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। फिलहाल स्वयं की किताब पर काम जारी है। श्रीमती पनोत के लेखन का उद्देश्य-इस रास्ते अपने-आपसे जुड़े रहना व हिन्दी साहित्य की सेवा करना है। इनकी दृष्टि में पसंदीदा हिन्दी लेखक,कोई एक नहीं, सब अपनी अलग विशेषता रखते हैं। लेखन से जन जागरूकता की पक्षधर कविता पनोत के देश और हिन्दी भाषा के प्रति विचार-
‘मैं भारत देश की बेटी हूँ,
हिन्दी मेरी राष्ट्र भाषा
हिन्दी मेरी मातृ भाषा,
हिन्द प्रचारक बन चलो,
कुछ सहयोग हम भी बाँटें।

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