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जीवन का संबल माँ

डाॅ. अरविंद श्रीवास्तव ‘असीम’
दतिया (मध्यप्रदेश)
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जब भी भटका हूँ मैं पथ से राह मुझे दिखलाती माँ।
बुरे दिनों के बादल आते, उनसे हमें बचाती माँ।

कितनी पीड़ा सहकर माता, हमको जग में लाती है,
देख-रेख और रक्षण करती शिक्षक बन सिखलाती माँ।

बेटा-बेटी के शैशव में संस्कार सिखलाती है,
गर जीवन कुछ शुष्क हुआ तो बदली बनकर छाती माँ।

गर बेटा सोया न निशि में, माँ को नींद नहीं आती,
छूता जब भी शिखर को बेटा, दिल से खुशी मनाती माँ।

घर के साज सजाने के हित अपना जीवन देती वार,
ममता लाड़-दुलार दिखाती, गीत सुखों के गाती माँ।

आज बदलते मौसम में संबंध बदलते दिखते हैं,
पूत-कुपूत भले हो जाए, उसको गले लगाती माँ।

माँ से बड़ा न कोई जग में, यह ‘असीम’ सच्चाई है,
माँ इस जीवन का संबल, सुख-दुख में साथ निभाती माँ॥

परिचय-अरविन्द कुमार श्रीवास्तव का जन्म स्थान अमरा (तहसील-मोंठ, जिला-झांसी) है, जबकि वर्तमान में दतिया (मप्र) में स्थाई बसेरा है। २९ जून (१९५९) को जन्मे डाॅ. अरविंद श्रीवास्तव ‘असीम’ बुंदेली, हिन्दी व अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखते हैं। इनकी पूर्ण शिक्षा एम.ए. (५ विषय) डी.आर.जे.एम.सी. (पत्रकारिता), आहार परामर्शदाता, विभिन्न डिप्लोमा पाठ्यक्रम व जेएआईआईबी (हिंदी) भी है। कार्यक्षेत्र-शिक्षण व लेखन है। सामाजिक गतिविधि के नाते आप अनेक साहित्यिक, सांस्कृतिक, सामाजिक संस्थाओं में पद दायित्व पर हैं। ‘असीम’ की लेखन विधा-छंद, गीत, कहानी, कविता, ग़ज़ल व आलेख आदि है। बात प्रकाशन की करें तो हिंदी में २५ तथा अंग्रेजी में ७० (शैक्षणिक) पुस्तक आपके साहित्यिक खाते में है, जबकि प्रतिवर्ष ४ पत्रिकाओं सहित अनेक पुस्तकों का संपादन-समीक्षा व लगभग ३० सांझा संग्रहों में रचना भी शामिल है। आपकी रचनाएँ अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में विदेश में रूस, नेपाल, म्यान्मार (बर्मा) आदि में १५ अंतर्राष्ट्रीय तो भारत में लोकसभा अध्यक्ष ओमकृष्ण बिरला द्वारा सम्मान, केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे द्वारा विज्ञान भवन में सम्मान, विक्रमशिला विद्यापीठ द्वारा ‘भारत गौरव सम्मान’ सहित २५० के लगभग राष्ट्रीय-राज्य स्तरीय सम्मान भी पाए हैं। २०२३ में ‘कबीर कोहिनूर सम्मान’ (प्रथम श्रेणी) हेतु देश के १०० असाधारण व्यक्तियों में चयनित होकर सम्मानित हुए हैं। डॉ. श्रीवास्तव की विशेष उपलब्धि-सुग्रीवा विश्वविद्यालय (इंडोनेशिया) में ‘ईकोहिस-२०२२ अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ में मुख्य वक्ता के रूप में व्याख्यान देना, रामायण पर व्याख्यान हेतु कार्यक्रमों में कई देशों से आमंत्रण, ‘इनसाइक्लोपीडिया ऑफ रामायण’ से संबंधित फिल्म की पटकथा-संवाद आदि का अवसर, विज्ञान भवन (दिल्ली) में अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम में वक्ता के रूप में व्याख्यान देना व ‘साक्ष्य’ धारावाहिक में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करना है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-अपनी रचनात्मकता की भावना को संतुष्ट करना एवं अनुभव पाठकों के बीच रखना है। पसंदीदा हिंदी लेखक- देवकीनन्दन खत्री, श्रीलाल शुक्ल एवं हरिशंकर परसाई हैं। प्रेरणापुंज-श्री सत्यसाईं बाबा, स्वामी विवेकानन्द व सुभाष चन्द्र बोस हैं। विशेषज्ञता-अंग्रेजी के शिक्षण और प्रेरणादायी भाषण में है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“देश बहुत तेजी से प्रगति पथ पर अग्रसर है। हमारा देश विश्व शक्ति बन चुका है। हिन्दी विश्व भाषा के रूप में बहुत शीघ्र स्थापित हो जाएगी।”

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