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जीवन बड़ा निराला

तारा प्रजापत ‘प्रीत’
रातानाड़ा(राजस्थान) 
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मकड़ी वाला जाला है,
ये जीवन बड़ा निराला है।

कभी सयाना समझदार,
कभी बच्चा भोला-भाला है।
ये जीवन बड़ा निराला है…

खुशियों की सौगात मिले,
कभी ग़म ने इसे पाला है।
ये जीवन बड़ा निराला है…

फूलों की सेज पर सोया,
कभी पाँव में छाला है।
ये जीवन बड़ा निराला है…

छपन्न भोग थाली में सजे,
कभी सूखा निवाला है।
ये जीवन बड़ा निराला है…

सिंहासन पर बैठ गया,
कभी निकला दिवाला है।
ये जीवन बड़ा निराला है…

जिन्हें मिले सच्चे सद्गुरु,
वो बन्दा क़िस्मत वाला है।
ये जीवन बड़ा निराला है…

चौरासी का कटे चक्कर,
गुरु मुक्ति वाला ताला है।
ये जीवन बड़ा निराला है…॥

परिचय– श्रीमती तारा प्रजापत का उपनाम ‘प्रीत’ है।आपका नाता राज्य राजस्थान के जोधपुर स्थित रातानाड़ा स्थित गायत्री विहार से है। जन्मतिथि १ जून १९५७ और जन्म स्थान-बीकानेर (राज.) ही है। स्नातक(बी.ए.) तक शिक्षित प्रीत का कार्यक्षेत्र-गृहस्थी है। कई पत्रिकाओं और दो पुस्तकों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं,तो अन्य माध्यमों में भी प्रसारित हैं। आपके लेखन का उद्देश्य पसंद का आम करना है। लेखन विधा में कविता,हाइकु,मुक्तक,ग़ज़ल रचती हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी पर कविताओं का प्रसारण होना है।

 

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