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तन्हा हूँ मैं

अमृता ‘अमृत’
शिकोहपुर (उत्तरप्रदेश)
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तन्हा मैं हूँ,तन्हा तुम हो,

तन्हाई से फिर क्या डरना

प्रीत नहीं जब प्रीत से ही,

जग रीत से फिर क्या डरना।

 

 

जीवनभर का,कोई मेल नहीं,

अब तो तू हाथ मिला

तेरे जख्मों का मेरे जख्मों से,

मिलकर मरहम-सा बना

दिल टूट गया,जब पहले ही,

दिल टूटने से फिर क्या डरना।

 

 

तन्हा मैं हूँ,तन्हा तुम हो,

तन्हाई से फिर क्या डरना॥

 

 

जबसे मिले हैं,तुझसे सफर में,

प्रेम सफर से मुझको हुआ

मुझको हवाएं भाने लगी है,

जबसे बदन को तूने छुआ

जबसे बदन को तूने छुआ

छू के मुझे जो सुकून मिले,

परछाई से फिर क्या डरना।

 

 

ना तू बेवफा,ना मैं बेवफा,

बेवफाई से फिर क्या डरना॥

 

 

तन्हा मैं हूँ,तन्हा तुम हो,

तन्हाई से फिर क्या डरना॥

 

 

कागज का ये,दिल ना समझना,

लाख जख्म को भी सह गया

मन मंदिर था,जिस हमसफर का,

उससे जुदाई भी सह गया,

चलना है अगर मेरे साथ में ही

रूसवाई से फिर क्या डरना,

धूप हूँ मैं तेरे जीवन की

कठिनाई से फिर क्या डरना।

 

 

तन्हा मैं हूँ,तन्हा तुम हो,

तन्हाई से फिर क्या डरना॥

परिचय-अमितू भारद्वाज का जन्म ११ अगस्त १९९५ में ग्राम शिकोहपुर (जिला-बागपत)में हुआ है। उ.प्र. से नाता रखने वाली अमितू वर्तमान में धामपुर जिला बिजनौर (उ.प्र.)में हैं, जबकि स्थाई पता शिकोहपुर ही है। इनकी शिक्षा-स्नातक (बी.एस-सी.)है। कार्यक्षेत्र-लेखापाल(उ.प्र.)का है। लेखन विधा- मुक्तक व गीत है। भाषा ज्ञान-हिन्दी व अंग्रेजी का है। किताब के रुप में एक काव्य संग्रह प्रकाशित है। यह ब्लॉग पर भी लिखती हैं।इनकी लेखनी का उद्देश्य-समाज में व्याप्त वेदना को समझना और कविता के माध्यम से प्रदर्शित कर प्रेम,वीरता इत्यादि सकारात्मक दिशा देना है। आपके पंसदीदा हिन्दी लेखक(कवि)- माखनलाल चतुर्वेदी,हरिवंश राय बच्चन एवं कुमार विश्वास हैं। इनके लिए प्रेरणा पुंज-माखनलाल चतुर्वेदी हैं। रुचि-किताब पढ़ना तथा संगीत है।

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