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तालीम और सरकार

सोनू कुमार मिश्रा
दरभंगा (बिहार)
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हसरतें तालीम की कभी आसान नहीं होती,
तालीम बिन मनुज की कोई पहचान नहीं होती।
तालीम बिन तकदीर की तस्वीर नहीं बदलती,
तालीम हो तो मनुज की कभी पहचान नहीं मिटती।
फिर क्यों तालीम को जालिम,जाहिल बनाने चले हैं…
गरीबों से तालीम छीनने को फिर से वे अड़े हैं॥

क्या सत्ता की सरकार सच में तालीम चाहती है!
या फिर वह तालीम प्रदान करने का नाटक रचती है।
अगर यह सच है कि वह तालीम गरीबों तक चाहती है,
तो बच्चों को तालीम की जगह अंडे-सेब क्यों बाँटती है ?
क्या समान तालीम,सच में सबका अधिकार नहीं !
क्या समान तालीम की व्यवस्था न करना धिक्कार नहीं…॥

सच क्या-झूठ बात क्या,तालीम बिन पहचानी जा सकती,
नफरतों की मोटी दीवारें,तालीम बिन मिटाई जा सकती !
सिक्का खोटा है या नहीं,बात बिन तालीम पहचानी जा सकती,
विकासपथ पर अग्रसर मानवता बिन तालीम जानी जा सकती।
फिर क्यों तालीम को लेकर इतनी हो रही सियासत है,
क्या सच में गरीबों को तालीम देने में कोई आफत है ? ?

परिचय-सोनू कुमार मिश्रा की जन्म तारीख १५ फरवरी १९९३ तथा जन्म स्थान दरभंगा(बिहार )है। वर्तमान में ग्राम थलवारा(जिला दरभंगा)में रहते हैं। बिहार राज्य के श्री मिश्रा की शिक्षा -स्नातकोत्तर(हिंदी) है। आप कार्यक्षेत्र में शिक्षक हैं। सामाजिक गतिविधि के तहत समाजसेवी हैं। लेखन विधा-कविता है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक चेतना जागृत करना औऱ वर्तमान में मातृभाषा हिन्दी का प्रचार करना है। 

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