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…तो करार आए

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’
रावतसर(राजस्थान) 
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रचनाशिल्प:समांतर-आ स्वर, पदांत-तो करार आये, मापनी १२२२,१२२२,१२२२, १२१२,२

वतन के वास्ते खुद को मिटा दूँ तो करार आये।
शहीदों में खुदी अपनी लिखा दूँ तो करार आये।

दिया बलिदान अपना देश को करता नमन उनको,
उन्हीं के रास्ते चल कर दिखा दूँ तो करार आये।

हमारे खून से कीमत चुका पायी है आज़ादी,
बचा है कर्ज़ जो बाकी चुका दूँ तो करार आये।

उठाते सिर अभी भी चीन पाकिस्तान सीमा पर,
हरिक दुश्मन को मिट्टी में मिला दूँ तो करार आये।

वतन की आन भी है शान अपना मान तिरंगा है,
गगन के छोर पर इसको उड़ा दूँ तो करार आये।

नज़र टेढ़ी किये देखा उड़ा दी जायगी गर्दन,
यही ऐलान दुनिया में करा दूँ तो करार आये।

हमारे देश की पहचान सबकी जान तिरंगा है ,
हरिक छत पर तिरंगे को लगा दूँ तो करार आये।

चरण रज भारती माँ की मिले हर जन्म ‘शंकर’ को,
यही भगवान को अर्जी लगा दूँ तो करार आये॥

परिचय-शंकरलाल जांगिड़ का लेखन क्षेत्र में उपनाम-शंकर दादाजी है। आपकी जन्मतिथि-२६ फरवरी १९४३ एवं जन्म स्थान-फतेहपुर शेखावटी (सीकर,राजस्थान) है। वर्तमान में रावतसर (जिला हनुमानगढ़)में बसेरा है,जो स्थाई पता है। आपकी शिक्षा सिद्धांत सरोज,सिद्धांत रत्न,संस्कृत प्रवेशिका(जिसमें १० वीं का पाठ्यक्रम था)है। शंकर दादाजी की २ किताबों में १०-१५ रचनाएँ छपी हैं। इनका कार्यक्षेत्र कलकत्ता में नौकरी थी,अब सेवानिवृत्त हैं। श्री जांगिड़ की लेखन विधा कविता, गीत, ग़ज़ल,छंद,दोहे आदि है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-लेखन का शौक है

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