कुल पृष्ठ दर्शन : 420

You are currently viewing दिनभर रहा बहका हुआ सा

दिनभर रहा बहका हुआ सा

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
**************************************

आज दिन दिनभर रहा बहका हुआ सा।
चाँद भी दिखता है कुछ दरका हुआ सा।

शाम सोई सी फ़िजायें जाफ़रानी,
बेख़ुदी की अश्क़ है छलका हुआ सा।

आशियाँ दिल की ज़मीं ना आसमां है,
फिर मुसाफ़िर क्यों रहा भटका हुआ सा।

हमने समझा पाँव कुचला फूल फेंका,
छू के देखा प्यार था चटका हुआ सा।

रो लिया कुछ अलमिरा दिल देख भारी,
तब लगा सामान से हल्का हुआ सा।

धूपबत्ती याद की तेरी जली जब,
गुम धुँआ में होश तन महका हुआ सा।

क्यों लगा ये बे पता दिल के मकाँ में,
दर-दरीचे बंद पर खटका हुआ सा॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

Leave a Reply