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दीमक-सा व्यवहार

आशा आजाद`कृति`
कोरबा (छत्तीसगढ़)

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दीमक कहता आपसे, मेरा यह व्यवहार।
हममें भी है एकता, खंडित सह आधार॥

बड़ा संगठन साथ में, करते मिल-जुल काम।
बुनियादों को तोड़ते, है विनाश निज धाम॥

मनुज करे व्यवहार जो, वह है आज समान।
बिना लक्ष्य को साधकर, कार्य करें इंसान॥

आज दीमकों की तरह, मनुज कार्य में लीन।
ध्येय सत्य पथ का नहीं, हक को लेते छीन॥

अंदर-अंदर खोखला, करते देश समाज।
दीमक सम यह काटते, मनुज देख लो आज॥

धन दौलत की चाह में, छलते रहते लोग।
रखकर स्वयं अधीरता, व्यर्थ पालते रोग॥

छल अरु पाखंड का, रखते बड़ा समूह।
दीन-दुखी को फाँसते, रचे नीति नव व्यूह॥

दीमक बन है चाट ले, दुष्ट मनुज दिन-रात।
षड़यंत्रो को नित रचे, करें पृष्ठ पर घात॥

दीमक जो बुनियाद को, तोड़े यह स्वाभाव।
झुण्ड साथ जब चल पड़े, होता है बिखराव॥

मानव दंभ को त्यागकर, लक्ष्य करे शुभ धार्य।
श्रेष्ठ संगठन ध्येय से, करें देशहित कार्य॥

रेशम कीड़ा सब बनें, करे भलाई नित्य।
मृत होकर रेशम बनें, यह है जनहित कृत्य॥

परिचय–आशा आजाद का जन्म बाल्को (कोरबा,छत्तीसगढ़)में २० अगस्त १९७८ को हुआ है। कोरबा के मानिकपुर में ही निवासरत श्रीमती आजाद को हिंदी,अंग्रेजी व छत्तीसगढ़ी भाषा का ज्ञान है। एम.टेक.(व्यवहारिक भूविज्ञान)तक शिक्षित श्रीमती आजाद का कार्यक्षेत्र-शा.इ. महाविद्यालय (कोरबा) है। सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत आपकी सक्रियता लेखन में है। इनकी लेखन विधा-छंदबद्ध कविताएँ (हिंदी, छत्तीसगढ़ी भाषा)सहित गीत,आलेख,मुक्तक है। आपकी पुस्तक प्रकाशाधीन है,जबकि बहुत-सी रचनाएँ वेब, ब्लॉग और पत्र-पत्रिका में प्रकाशित हुई हैं। आपको छंदबद्ध कविता, आलेख,शोध-पत्र हेतु कई सम्मान-पुरस्कार मिले हैं। ब्लॉग पर लेखन में सक्रिय आशा आजाद की विशेष उपलब्धि-दूरदर्शन, आकाशवाणी,शोध-पत्र हेतु सम्मान पाना है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जनहित में संदेशप्रद कविताओं का सृजन है,जिससे प्रेरित होकर हृदय भाव परिवर्तन हो और मानुष नेकी की राह पर चलें। पसंदीदा हिन्दी लेखक-रामसिंह दिनकर,कोदूराम दलित जी, तुलसीदास,कबीर दास को मानने वाली आशा आजाद के लिए प्रेरणापुंज-अरुण कुमार निगम (जनकवि कोदूराम दलित जी के सुपुत्र)हैं। श्रीमती आजाद की विशेषज्ञता-छंद और सरल-सहज स्वभाव है। आपका जीवन लक्ष्य-साहित्य सृजन से यदि एक व्यक्ति भी पढ़कर लाभान्वित होता है तो, सृजन सार्थक होगा। देवी-देवताओं और वीरों के लिए बड़े-बड़े विद्वानों ने बहुत कुछ लिख छोड़ा है,जो अनगिनत है। यदि हम वर्तमान (कलयुग)की पीड़ा,जनहित का उद्धार,संदेश का सृजन करें तो निश्चित ही देश एक नवीन युग की ओर जाएगा। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हिंदी भाषा से श्रेष्ठ कोई भाषा नहीं है,यह बहुत ही सरलता से मनुष्य के हृदय में अपना स्थान बना लेती है। हिंदी भाषा की मृदुवाणी हृदय में अमृत घोल देती है। एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति की ओर प्रेम, स्नेह,अपनत्व का भाव स्वतः बना लेती है।”

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