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दूर करें तम

तारा प्रजापत ‘प्रीत’
रातानाड़ा(राजस्थान) 
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अंतर्मन से दूर करें तम,
खुशहाली का हो आगमन।

चहुँओर उजियारा बरसे,
कोई कहीं उदास न तरसे।
देकर खुशियाँ ले ले ग़म,
अंतर्मन से दूर करें तम॥

मुस्करा कर गले लगाएं,
गिरे हुए को झुक के उठाएं।
कोई ज़्यादा न कोई कम,
अंतर्मन से दूर करें तम॥

आँख में कभी न आँसू आए,
होंठों पर मुस्कान सजाए।
मौसम रहे गुलज़ार हरदम,
अंतर्मन से दूर करें तम॥

हर मुंडेर पर दीप जलाएं,
दीपावली का पर्व मनाएं।
तू और मैं बन जाये हम,
अंतर्मन से दूर करें तम॥

परिचय-श्रीमती तारा प्रजापत का उपनाम ‘प्रीत’ है।आपका नाता राज्य राजस्थान के जोधपुर स्थित रातानाड़ा स्थित गायत्री विहार से है। जन्मतिथि १ जून १९५७ और जन्म स्थान-बीकानेर (राज.) ही है। स्नातक(बी.ए.) तक शिक्षित प्रीत का कार्यक्षेत्र-गृहस्थी है। कई पत्रिकाओं और दो पुस्तकों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं,तो अन्य माध्यमों में भी प्रसारित हैं। आपके लेखन का उद्देश्य पसंद का आम करना है। लेखन विधा में कविता,हाइकु,मुक्तक,ग़ज़ल रचती हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी पर कविताओं का प्रसारण होना है।