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देखकर मुझको मुड़ गए

उमेशचन्द यादव
बलिया (उत्तरप्रदेश) 
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जल्दी में थे कुछ पल खुशी के,
परिंदे के जैसे उड़ गए
पहले देखकर मुड़ जाते थे जो,
अब देखते ही मुझको मुड़ गए।

आज साए से पूछा जब मैंने,
तुम क्यों चलते हो साथ मेरे…?
तपाक से जवाब दिया उसने,
सब चले गए,अब साथ कौन तेरे…!

हरदम मैं चलूँगा साथ तेरे,
एहसास तुम मेरा कर लेना
जो अपनी खुशी में भूले तुम्हें,
तुम दुआ से आँचल भर देना।

आनंद को तो कुछ जल्दी थी,
फुर्सत में गम ही आया है
मौका है अभी भी पास इसी के,
इसलिए डेरा ये जमाया है।

साए की सीख निराली है,
मन में मैंने बैठाया है
कट जाएंगे गम के बादल,
अब पवन ने रुख़ अपनाया है।

कहे ‘उमेश’ मन को समझाया,
यह दुनिया ठगिन एक माया है।
पिंजरे से जो उड़ा सुवा तो,
फिर लौट कभी ना आया है॥

परिचय–उमेशचन्द यादव की जन्मतिथि २ अगस्त १९८५ और जन्म स्थान चकरा कोल्हुवाँ(वीरपुरा)जिला बलिया है। उत्तर प्रदेश राज्य के निवासी श्री यादव की शैक्षिक योग्यता एम.ए. एवं बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-शिक्षण है। आप कविता,लेख एवं कहानी लेखन करते हैं। लेखन का उद्देश्य-सामाजिक जागरूकता फैलाना,हिंदी भाषा का विकास और प्रचार-प्रसार करना है।

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