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देखने का नजरिया…

दृष्टि भानुशाली
नवी मुंबई(महाराष्ट्र) 
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यह जिंदगी बड़ी ही अनोखी है जनाब,
बस उसे देखने का नजरिया यदि सही हो
तो छोटी-छोटी बातों में भी खुशियाँ ढूँढ कर,
इसे बेहतरीन बनाना भी सहज हो।

ईश्वर के समक्ष माथा टेक कर,
हम मांगते हैं उनसे दुआ।
गर देखने का नजरिया ही गलत हो,
तो मानते हैं उसे एक पत्थर का पुतला।

इस सत्य से सभी वाकिफ हैं कि,
एक जननी होती है ईश्वर का स्वरूप।
गर देखने का नजरिया ही अलग हो तो,
दिखे उसमें एक सामान्य स्त्री का रूप।

बड़ा ही उत्तम विचार है किसी का,
कि ‘अतिथि होते हैं देव स्वरूप।’
गर देखने का नजरिया ही अनुपयुक्त हो,
तो आते ही उनके सब जाते हैं छिप।

किसी प्यासे के लिए एक बूँद का मूल्य,
किसी अमृत की बूँदों से कम नहीं।
गर देखने का नजरिया ही अनुचित हो,
तो अमृत भी लगे केवल पानी की भाँति।

छोटी-सी बातों में खुशियाँ ढूँढ कर,
अपने जीवन को बनाईए उत्कृष्ट।
उन बातों में केवल कमियाँ ढूँढ कर,
आप जीवनभर रहेंगे असंतुष्टll

परिचय-दृष्टि जगदीश भानुशाली मेधावी छात्रा,अच्छी खिलाड़ी और लेखन की शौकीन भी है। इनकी जन्म तारीख ११ अप्रैल २००४ तथा जन्म स्थान-मुंबई है। वर्तमान पता कोपरखैरने(नवी मुंबई) है। फिलहाल नवी मुम्बई स्थित निजी विद्यालय में अध्ययनरत है। आपकी विशेष उपलब्धियों में शिक्षा में ७ पुरस्कार मिलना है,तो औरंगाबाद में महाराष्ट्र का प्रतिनिधित्व करते हुए फुटबाल खेल में प्रथम स्थान पाया है। लेखन,कहानी और कविता बोलने की स्पर्धाओं में लगातार द्वितीय स्थान की उपलब्धि भी है,जबकि हिंदी भाषण स्पर्धा में प्रथम रही है।

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