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धैर्य रख

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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धैर्य रख काम करे होता है वही सफल,
कितनी बड़े धैर्य से, विपत्तियां जाती टल।

दल बीच छुपा रखे मकरंद को कमल,
भौंरा रस ग्राही पी ले, कितना भी हो तरल।

निंदा कान कभी न दे चुगली भारी गरल,
निंदा रस मीठे सही मिलता न कोई हल।

जितना कर्म करोगे उतने ही मीठे फल,
जितना गहरा कुआँ उतने ही मीठे जल।

यौवन में इतराये देख के अपने बल,:
क्षीण हो के वृद्ध हुए तब माथे पड़े सल।

जवानी कहते फिरे किसने देखा है कल,
भूलते कुछ पल वे काल बुढ़ापा अटल।

मुख्य गुण प्रतिनिधि करे नील गगन तल,
पर लाल पीले काले, रहे आकाश पटल।

मन कभी तो बावरा कभी चुप है चँचल,
निरंकार में खो जाता कभी करे हलचल।

भेड़चाल लोग चले, होते वह हैं विफल,
बनावटी जीते लोग, नकल छोड़ अकल॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

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