विचार गोष्ठी…
मंडला( मप्र)।
आज जाते हुए वर्ष की विदाई और आगत नव वर्ष के स्वागत के अवसर पर यह संवाद आयोजित करने हेतु कथाकार सिद्धेश्वर जी धन्यवाद के पात्र हैं,जिन्होंने कोरोना काल से आज तक युवा प्रतिभाओं को सतत सृजनशील रखा हुआ है। हम सम्बन्धों में नई ऊष्मा का संचार करें और अपनी आत्मीयता की परिधि का विस्तार करें। नए वर्ष में हम ‘स्व’ से तनिक बाहर आएं।
मुख्य अतिथि वरिष्ठ गीतकार शिव कुमार पराग (वाराणसी )ने यह बात कही। भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वाधान में कवि सम्मेलन (अलविदा २०२१:स्वागत २०२२) में आप संबोधित कर रहे थे। संयोजक सिद्धेश्वर ने संचालन के क्रम में ‘नए वर्ष में साहित्यकारों से अपेक्षाएं’ विषय पर कहा कि,साहित्य व्यक्ति और समाज के लिए पथ प्रदर्शक,दिग्दर्शक और बहुउपयोगी तभी होगा,जब वह सिर्फ पुस्तकालय और सम्मानों की शोभा बढ़ाने के उद्देश्य से ना लिखा जाए,बल्कि आम लोगों की बात व्यवहार में उतर जाने,विकृत मानसिकता में ताजगी और ऊर्जा लाने का सार्थक प्रयास भी कर सके।
कवि सम्मेलन के विशिष्ट अतिथि प्रो.(डॉ.)
शरद नारायण खरे (मप्र)ने कहा कि,कवियों को कविता के प्रति गंभीर होना होगा। नव वर्ष में मेरी कवियों से यही अपेक्षाएँ हैं कि वे कविता को गंभीरता से लें,जिससे उनके द्वारा सृजित कविता में गुणवत्ता आ सके।
अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. सविता मिश्रा माधवी (बेंगलुरु) ने कहा कि,नए साल में साहित्यकार सस्ती लोकप्रियता से बाहर आकर समाज के लिए कुछ सार्थक करें। डॉ. अर्चना त्रिपाठी,अपूर्व कुमार (वैशाली)आदि ने भी अपनी बात रखी।
इसमें ३६ से अधिक कवियों ने भाग लिया। डॉ. खरे ने -‘जाने वाले को नमन,आगत का सम्मान, यही दुआ है कामना,आदत हो बलवान!,डॉ. गोरख प्रसाद मस्ताना ने ‘क्यों फूल नहीं है मुस्काते ? खग-विहग क्यों नहीं है गाते ? क्यों पवन नहीं सन सन करता! क्यों नहीं ख्वाब सुख के आते ?’ तो शिव कुमार पराग ने ‘उठते हैं, गिरते हैं हम,बार-बार भंवर से निकल कर, लहरों पर तिरते हैं हम!’ रचना प्रस्तुत की। डॉ. आरती कुमारी,डॉ. बी. एल. प्रवीण,विज्ञान व्रत एवं भगवती प्रसाद द्विवेदी आदि भी ने विविध रचनाएँ पेश की।