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नया साल आया है

डॉ.चंद्रदत्त शर्मा ‘चंद्रकवि’
रोहतक (हरियाणा)
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माँ,आज तो नया साल आया है,
पापा का दोस्त देखो खिलौने लाया है।
जिनको तरसती थी निगाहें हमारी,
अब फूली नहीं समाती मन की क्यारी,
पापा का दोस्त नहीं,नया साल आया है॥

बरसात में भीग गई थी राजकुमार की किताब,
रह गया था अधूरा पढ़ने का ख्वाब।
देखो! डाकिया आज उसका वजीफा लाया है,
सचमुच! आज तो नया साल आया है॥

तीन साल से घर पर बैठे सुमन,
दहेज के कारण ससुराल में अनबन
मिटाकर उसकी पीठ पर छपी उंगलियां,
भूलाकर उसकी जली उंगलियां।
ससुराल से एक पत्र आया है,
उसकी सास ने ‘बेटी’ कहकर बुलाया है।
सचमुच,आज तो नया साल आया है॥

वर्षों के पतझड़ से इंतजार के बाद,
आज बसंत-से मिले दो प्रेमी।
पठारी जीवन में खिले दो प्रेमी,
फिर से प्रेम का बाढ़ पाया है।
दिल-आँखें-गला भर आया है,
सब खालीपन मिटाया है।
आज तो नया साल आया है॥

परिचय–डॉ.चंद्रदत्त शर्मा का साहित्यिक नाम `चंद्रकवि` हैl जन्मतारीख २२ अप्रैल १९७३ हैl आपकी शिक्षा-एम.फिल. तथा पी.एच.डी.(हिंदी) हैl इनका व्यवसाय यानी कार्य क्षेत्र हिंदी प्राध्यापक का हैl स्थाई पता-गांव ब्राह्मणवास जिला रोहतक (हरियाणा) हैl डॉ.शर्मा की रचनाएं यू-ट्यूब पर भी हैं तो १० पुस्तक प्रकाशन आपके नाम हैl कई प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचना प्रकाशित हुई हैंl आप रोहतक सहित अन्य में भी करीब २० साहित्यिक मंचों से जुड़े हुए हैंl इनको २३ प्रमुख पुरस्कार मिले हैं,जिसमें प्रज्ञा सम्मान,श्रीराम कृष्ण कला संगम, साहित्य सोम,सहित्य मित्र,सहित्यश्री,समाज सारथी राष्ट्रीय स्तर सम्मान और लघुकथा अनुसन्धान पुरस्कार आदि हैl आप ९ अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में शामिल हो चुके हैं। हिसार दूरदर्शन पर रचनाओं का प्रसारण हो चुका है तो आपने ६० साहित्यकारों को सम्मानित भी किया है। इसके अलावा १० बार रक्तदान कर चुके हैं।

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