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सीने में अंगारे

विजय कुमार
मणिकपुर(बिहार)

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अंगारे धधक रहे हैं सीने में,
इन्हें शान्त न कर…
कूद पड़े इस जंग में,
हमें रोका न कर।

लालच नहीं है सत्ता की,
न्याय के साथ ये कहता हूँ…
गीदड़ भालूओं की तरह,
ना मैं वादा करता हूँ।

उड़नखटोले में बैठकर,
आसमान में उड़ते हो…
झूठा सपना हमें दिखाकर,
कुर्सी के लिए खुद मरते हो।

किसी की रोटी छीनकर,
खुद की भूख मिटाते हो…
झुग्गी-झोपड़ी तोड़कर,
अपना महल बनाते हो।

वोट बैंक की राजनीति नहीं,
पैसे की बैंक चलाते हो…
मानव की व्यथा नहीं सुनकर,
अपनी सरकार चलाते हो।

अंगारे धधक रहे हैं सीने में,
इन्हें शान्त न कर…
कूद पड़े इस जंग में,
हमें रोका ना कर॥

परिचय-विजय कुमार का बसेरा बिहार के ग्राम-मणिकपुर जिला-दरभंगा में है।जन्म तारीख २ फरवरी १९८९ एवं जन्म स्थान- मणिकपुर है। स्नातकोत्तर (इतिहास)तक शिक्षित हैं। इनका कार्यक्षेत्र अध्यापन (शिक्षक)है। सामाजिक गतिविधि में समाजसेवा से जुड़े हैं। लेखन विधा-कविता एवं कहानी है। हिंदी,अंग्रेजी और मैथिली भाषा जानने वाले विजय कुमार की लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक समस्याओं को उजागर करना एवं जागरूकता लाना है। इनके पसंदीदा लेखक-रामधारीसिंह ‘दिनकर’ हैं। प्रेरणा पुंज-खुद की मजबूरी है। रूचि-पठन एवं पाठन में है।

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