हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
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नववर्ष विशेष…..
नववर्ष आ रहा है,खुशियाँ भी ला रहा है,
बीता जो हम सभी से,वो वर्ष जा रहा है।
इक्कीसवाँ बिताया,बाईसवाँ सजेगा,
हर देन को सजाकर शुभ वक्त ला रहा है।
नववर्ष आ रहा है…॥
भगवान ही सजाते,हर देन जिन्दगी की,
इन्सान तो बिताते,उस देन को खुशी की।
हर सजा ही मिलता,जीवन को इस जमीं पर,
दाता की देन प्यारी इन्सान पा रहा है।
नववर्ष आ रहा है…॥
भगवान ने बनाए दस्तूर जिन्दगी के,
लेकिन ये निभ न पाते,धरती में बन्दगी से।
दाता तो हर किसी की खुशियाँ सजा रहा है,
फिर किस कमी से जीवन,में दु:ख भी आ रहा है।
नववर्ष आ रहा है…॥
पहलू बदल के मिलते रहते यहां सभी को,
दिन-रात,वर्ष-सदियां,बदले है वक्त युग को।
अब वर्ष भी सदी का बदलेगा वक्त से ही,
बदला हुआ नया ही इक वर्ष आ रहा है।
नववर्ष आ रहा है…॥
परिचय-हीरा सिंह चाहिल का उपनाम ‘बिल्ले’ है। जन्म तारीख-१५ फरवरी १९५५ तथा जन्म स्थान-कोतमा जिला- शहडोल (वर्तमान-अनूपपुर म.प्र.)है। वर्तमान एवं स्थाई पता तिफरा,बिलासपुर (छत्तीसगढ़)है। हिन्दी,अँग्रेजी,पंजाबी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री चाहिल की शिक्षा-हायर सेकंडरी और विद्युत में डिप्लोमा है। आपका कार्यक्षेत्र- छत्तीसगढ़ और म.प्र. है। सामाजिक गतिविधि में व्यावहारिक मेल-जोल को प्रमुखता देने वाले बिल्ले की लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और लेख होने के साथ ही अभ्यासरत हैं। लिखने का उद्देश्य-रुचि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नीरज हैं। प्रेरणापुंज-धर्मपत्नी श्रीमती शोभा चाहिल हैं। इनकी विशेषज्ञता-खेलकूद (फुटबॉल,वालीबाल,लान टेनिस)में है।