कुल पृष्ठ दर्शन : 38

You are currently viewing नशा’ बे-पल- बे-मौत बुलावा

नशा’ बे-पल- बे-मौत बुलावा

सरोज प्रजापति ‘सरोज’
मंडी (हिमाचल प्रदेश)
***********************************************

बात पते की हे जन ! जानो,
नशा नशीला, मारक मानो है
बे-पल बे-मौत बुलावा,
क्या है शान ? प्रतिपल छलावा।

धीमा जहर, जीवन बुझाता,
घनेरी यंत्रणा, अधम तृष्णा
कैसी नियति दूभर, मजबूरी,
क्रय-विक्रय है, लानत ‘दस्तूरी।’

शराब, भांग, सिगरेट, गांजा,
तम्बाकू, गुटखा ‌है शिकंजा अय्याशी!,
दूर-बुद्धि है लाता,
नैतिक पतन, दूर-चरित्र होता।

खास स्पर्धा, दिवस हैं मनाते,
भाषण, नारे, स्पर्धा करवाते
नशा मुक्ति अभियान मनाते,
‘से नो टोबैको’ चित्र सजाते।

वर्जित दिशा ओर क्यों जाते ?
बे-गैरत हस्ती क्यों ? बनाते
क्या है ? पराजय बोध, कुंठा ?
नशा-अपना हल नहीं ? कुंठा।

नशा मुक्ति वैध सावधानी,
हारिल लकड़ी लें ज्यों! मानी
सस्नेह, स्पर्श तीव्र जिजीविषा,
मन-भाव करके, पुष्ट, बुभुत्सा।

दानव दारूण प्राण ले ही,
अतिशय कष्ट, सह विकृत दे ही
कुकुरमुत्ते कवलित मृत होते,
दुखद मंजर हतप्रभ होते।

अनुनय-विनय हे ! मनुज भावी,
धारण कठिनतम नियम हावी।
पर-निज जीवन हो खुशहाली,
नशा ‘वितृष्णा’ न हो बदहाली॥

परिचय-सरोज कुमारी लेखन संसार में सरोज प्रजापति ‘सरोज’ नाम से जानी जाती हैं। २० सितम्बर (१९८०) को हिमाचल प्रदेश में जन्मीं और वर्तमान में स्थाई निवास जिला मण्डी (हिमाचल प्रदेश) है। इनको हिन्दी भाषा का ज्ञान है। लेखन विधा-पद्य-गद्य है। परास्नातक तक शिक्षित व नौकरी करती हैं। ‘सरोज’ के पसंदीदा हिन्दी लेखक- मैथिली शरण गुप्त, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ और महादेवी वर्मा हैं। जीवन लक्ष्य-लेखन ही है।