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नारी बिना नहीं परिवार

राजबाला शर्मा ‘दीप’
अजमेर(राजस्थान)
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नारी और जीवन (अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस)….

नारी जीवन झूले की तरह
सुख-दु:ख में झूले है हर बार,
है सृष्टि का अनुपम उपहार,
नारी के बिना नहीं परिवार।

वह है वात्सल्यता की मूर्ति,
और है घर-आँगन की तुलसी
दीप-शिखा सी जलती रहती,
सबको शीतलता है देती
वह है जीवन-निर्मात्री,
परिवार की पालनहार।
नारी के बिना नहीं परिवार….

प्रथम ज्ञान गुरु कहलाती,
सारे जग को है महकाती
उससे बड़ा न दानी कोई,
सुख देती और गम पी जाती
सारा जीवन संघर्ष है करती
हँस के निभाती सब किरदार।
नारी के बिना नहीं परिवार…

उसकी राह नहीं आसान,
वह चाहती सबसे सम्मान
कभी दहेज,या बेटी होने पर,
करते हैं उसका अपमान
बहुत सहे हैं अत्याचार,
सबला बन भर रही हूंकार।
नारी के बिना नहीं परिवार…

अहिल्या भी है मणिकर्णिका भी,
कल्पना,सिंधु,मैरी,नीरजा भी
बढ़ाई उसने देश की शान,
हिंद की आन-बान है जान
मानेंगे जब उसको समकक्ष।
तब ही है देश-उद्धार,
नारी के बिना नहीं परिवार…॥

परिचय– राजबाला शर्मा का साहित्यिक उपनाम-दीप है। १४ सितम्बर १९५२ को भरतपुर (राज.)में जन्मीं राजबाला शर्मा का वर्तमान बसेरा अजमेर (राजस्थान)में है। स्थाई रुप से अजमेर निवासी दीप को भाषा ज्ञान-हिंदी एवं बृज का है। कार्यक्षेत्र-गृहिणी का है। इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी, गज़ल है। माँ और इंतजार-साझा पुस्तक आपके खाते में है। लेखनी का उद्देश्य-जन जागरण तथा आत्मसंतुष्टि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-शरदचंद्र, प्रेमचंद्र और नागार्जुन हैं। आपके लिए प्रेरणा पुंज-विवेकानंद जी हैं। सबके लिए संदेश-‘सत्यमेव जयते’ का है।

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