पद्मा अग्रवाल
बैंगलोर (कर्नाटक)
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“शादी सात जन्मों का बंधन है…”, “जोड़ियाँ ऊपर से बन कर आती हैं…” वर्तमान समय में ये कहावतें अर्थहीन होती जा रही हैं, क्योंकि दिन-प्रतिदिन तलाक की खबरें हमारे आस-पास सुनाई पड़ती रहती है। रिश्तों में कड़वाहट या दूरियाँ आते ही आपस में गलतफहमियाँ जड़ जमाने लगती हैं और आपसी संवाद कम होने लगता है तो स्थिति बिगड़ते देर नहीं लगती है।
किसी भी रिश्ते में मजबूती लाने के लिए दोनों तरफ का प्रयास जरूरी होता है। ज़िंदगीभर का साथ निभाने का वादा करने के बावजूद रोजमर्रा के झगड़े, मनमुटाव धीरे-धीरे रिश्ते को कमजोर कर देते हैं। कई बार छोटी-छोटी बातें बड़ी बन जाती हैं और रिश्ता टूटने की कगार पर आ जाता है।
सबसे आवश्यक बात है कि एक- दूसरे पर विश्वास रखें। एक-दूसरे के साथ दोस्ती वाला व्यवहार बनाने का प्रयास करें। पति या पत्नी दोनों आपस में आराम अनुभव करें। पत्नी को भी जगह मिले, जिससे वह अपनी बात कहने में हिचके नहीं।
नीला के बॉस उसे अक्सर देर शाम तक रोकते। फिर वह अपनी गाड़ी में उसे ड्रॉप करने के लिए कहते। उसे बॉस की यह बात नागवार लगती। उसने पति रवीश से कहा तो उन्होंने कहा, यदि तुम्हें ठीक नहीं लगता तो साफ-साफ मना कर दो। वैसे तुम मुझे रिंग कर देना, मैं पिक करने आ जाया करूँगा। तुम्हारे बॉस समझदार होंगें तो तुरंत समझ जाएंगे। यदि नीला पति से इस बात को छिपाने का प्रयास करती तो संभव था कि पति के मन में शक का बीज पनप कर रिश्तों में दूरियाँ पैदा कर देता।
पति-पत्नी के खुशहाल रिश्ते में आपस में सम्मान की भावना रखना जरूरी होता है। एक-दूसरे के प्रति इज्जत का भाव रहने से आपसी मनमुटाव अपने-आप समय से दूर हो जाता है।
कई बार देखा जाता है कि पति पत्नी एक-दूसरे की समस्या सुनना समझना ही नहीं चाहते। ऋषि के ऑफिस में छंटनी चल रही थी। उसके मन में हर समय नौकरी जाने का खौफ छाया हुआ था। इधर, पत्नी अंजली अपनी शॉपिंग, पॉर्लर और किटी की दुनिया में मस्त थी। ऋषि ने कई बार अपनी समस्या इशारों-इशारों में बताई, लेकिन उन्हें इन बातों से कोई मतलब ही नहीं था…। जब नौकरी चली गई तो अंजली ने रोना-धोना और झगड़ा शुरू कर दिया। ऐसी स्थिति में रिश्ते में दरार आना स्वाभाविक ही है। इसलिए जरूरी है कि एक-दूसरे की शारीरिक, आर्थिक या मानसिक परेशानी को सुनो, समझो और उसके समाधान का प्रयास करें, तभी रिश्ते बने रह सकते हैं।
पति-पत्नी दोनों ही एक-दूसरे की कमियों को देखने के बजाय उनकी कोशिशों पर गौर कीजिए। हर समय दोष देने की बजाय उसे समझने का प्रयास कीजिए। आपके सकारात्मक कदम रिश्तों को बेहतर और और अच्छे साझेदार बन कर रिश्तों में निखार ला देंगें।
आशा-निराशा, हार-जीत तो जीवन की दिनचर्या का आवश्यक हिस्सा है। उसके लिए किसी व्यक्ति विशेष को दोष देना समझदारी नहीं है। आपस में आरोप-खेल खेलने से रिश्ते खराब होंगें। इसलिए साथी के प्रयास को सराहें। संभव है कि वह अगले प्रयास में सफल हो जाए। उसे बेहतर करने के लिए प्रेरित करें।
सभी सुनते आए हैं कि पति बाहर के काम करते हैं और पत्नी घर के अंदर का…, परंतु आज के समय में सब सीमाएं टूट चुकी हैं। आजकल दोनों ही बाहर काम करते हैं तो पति का कर्तव्य बनता है कि पत्नी के घरेलू कामों में मदद करे। जब साथ में मिलकर काम करते हैं तो संबंध में प्रगाढ़ता आती है। निष्ठा और विशेष दोनों ही आईटी कंपनी में कार्यरत हैं। विशेष, अक्सर पत्नी से पहले आ जाते हैं और निष्ठा जब घर आती है तो पति के हाथ की चाय पीकर उसकी थकावट छूमंतर हो जाती है और फिर दोनों मिल कर खाना बनाते हैं।
अब वह समय नहीं है कि आप यह कह कर पल्ला झाड़ लें कि यह मेरा काम नहीं है…। जब पत्नी घर चलाने में सहयोग कर रही है तो आपसी तालमेल के साथ हाथ बँटा कर रिश्ते में मजबूती ला सकते हैं।
यदि आपके साथी में कोई कमी या व्यवहार में खामी है, उससे परेशानी है तो सही मौके पर सही तरीके से उसे उसकी कमी से अवगत कराएं। ध्यान रखें कि आपके अंदर भी कई कमियाँ होंगीं जिसे साथी नजरअंदाज करके साथ निभा रहा है। इसलिए आप भी उसकी कमियों को नजरंदाज करने की आदत डालिए। इस तरह से धैर्य से रिश्तों में मजबूती लाई जा सकती है।
हर व्यक्ति के मन में अपने साथी के लिए अनेक सपने और ख्वाहिशें होती हैं, कि वह ऐसा हो… वैसा हो, वह उसकी सारी अकांक्षाओं पर खरा उतरे और जब वह आपकी आशाओं तो पूरा नहीं कर पाता तो आप उसको बदलने की कोशिश न करना शुरू कर दें। वरन् वह जैसा है, वैसा ही स्वीकार करें। आपको यह ध्यान रखना जरूरी है कि आप उसकी खुशियों का ख्याल रखें। पति या पत्नी कितना सहज है, दूसरों के सामने उसके मान और इज्जत का ध्यान रखना जरूरी है। शादी-शुदा रिश्तों में कई बार पति- पत्नी एक-दूसरे के परिवार को ज्यादा पसंद नहीं करते, लेकिन रिश्तों को ठीक रखने के लिए परिवार के लोगों के साथ संबंध बना कर रखना जरूरी हो जाता है।
शादीशुदा जोड़े ज्यादातर आपसी रिश्तों में भावना जाहिर करना बंद कर देते हैं और मशीन-सी जिंदगी जीने लगते हैं तो रिश्तों में बासीपन आ जाता है। इसलिए कभी बाहर खाना तो कभी कोई यात्रा जरूर करते रहना चाहिए, ताकि आपसी रिश्तों में ऊष्णता बनी रहे.
अच्छा रिश्ता तभी हो सकता है, जब निराशा या असफलता के पलों में एक-दूसरे के आत्मविश्वास और खुद पर भरोसा बढ़ाने में सहयोग करें।