ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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जिन्दगी के हर एक कठिन मोड़ पर,
मिलता रहा है जिसका मुझे सहारा
आज खुशी से दिल भर आया जब,
कागज़ की कश्ती का देखा नजारा।
गुज़रे हुए पलों का स्पर्श पाकर,
मेरे दिल का चमकने लगा सितारा
बचपन की यादों ने एक बार फिर से,
हृदय परिवर्तन कर दिया हमारा।
वो कोई और नहीं बहन थी हमारी,
जिसने बदल दिया था जीवन सारा
जब भी मुसीबतों का दौर आता,
वो हर मुश्किल का बनती सहारा।
सावन की रिमझिम बारिश में सबको,
जवाब दिया करती थी करारा-करारा
सबको हँसाते-हँसाते खुद हँस देती,
इस तरह बदल देती मौसम का नजारा।
आज फिर वो मिलन की घडी आई है,
भावविह्वल हो गया मेरा दिल बेचारा।
मन को विचलित कर जाती है यादें,
इन्हीं यादों से महकता है घर हमारा॥
परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।