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प्रकृति की बड़ी देन

संजय जैन ‘बीना’
मुंबई(महाराष्ट्र)
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चारों तरफ ऊँचे पहाड़ हैं,
और उन पर है बहुत पानी
जिसे कारण उन पर,
हो गई बहुत हरियाली
यही तो प्रकृति की,
बहुत बड़ी देन मिली है
और प्राणी,जीव-जंतुओं को,
स्वच्छ वातावरण मिलता है।

विधाता ने रची कैसी,
रचना इस भू-मंडल की
जहाँ पर हर कोई रहकर,
जी सके आनंद से जीवन
रहे सबमें भाईचारा,
चाहे वो जो भी हो
सबका हक है इन पर,
जो विधाता ने बनाया है।

सभी को जिंदा रहने को,
चाहिए पानी हवा और हरियाली
जिसे कारण ही हम सब,
जिंदा रह पाएंगे
हम जो छोड़ते हैं साँसें,
वो वृक्ष ग्रहण कर लेते हैं
जो वृक्ष छोड़ते हैं,
वो हम ग्रहण करते हैं।
इसकी तरह से दोनों की,
जिंदगी निरंतर चलती है॥

परिचय– संजय जैन बीना (जिला सागर, मध्यप्रदेश) के रहने वाले हैं। वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। आपकी जन्म तारीख १९ नवम्बर १९६५ और जन्मस्थल भी बीना ही है। करीब २५ साल से बम्बई में निजी संस्थान में व्यवसायिक प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। आपकी शिक्षा वाणिज्य में स्नातकोत्तर के साथ ही निर्यात प्रबंधन की भी शैक्षणिक योग्यता है। संजय जैन को बचपन से ही लिखना-पढ़ने का बहुत शौक था,इसलिए लेखन में सक्रिय हैं। आपकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। अपनी लेखनी का कमाल कई मंचों पर भी दिखाने के करण कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इनको सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के एक प्रसिद्ध अखबार में ब्लॉग भी लिखते हैं। लिखने के शौक के कारण आप सामाजिक गतिविधियों और संस्थाओं में भी हमेशा सक्रिय हैं। लिखने का उद्देश्य मन का शौक और हिंदी को प्रचारित करना है।

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