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बनें सतमार्ग के पथिक

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
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महावीर जयंती (१० अप्रैल) विशेष…

वर्धमान महावीर को, सौ-सौ बार प्रणाम।
जैन धर्म का कर सृजन, रचे नवल आयाम॥

तीर्थंकर भगवान ने, फैलाया आलोक।
परे कर दिया विश्व से, पल में सारा शोक॥

महावीर ने जीतकर, मन के सारे भाव।
जीत इंद्रियाँ पा लिया, संयम का नव ताव॥

कुंडग्राम का वह युवा, बना धर्म दिनमान।
रीति-नीति को दे गया, वह इक चोखी आन॥

वर्धमान साधक बने, और जगत का मान।
जैनधर्म के ज्ञान से, किया मनुज-कल्याण॥

पंच महाव्रत धारकर, दिया जगत को सार।
करुणा, शुचिता भेंटकर, हमको सौंपा प्यार॥

जैन धर्म तो दिव्य है, सिखा रहा सत्कर्म।
धार अहिंसा हम रखें, कोमलता का मर्म॥

तीर्थंकर चोखे सदा, धर्म प्रवर्तक संत।
अपने युग से कर गए, अधम काम का अंत॥

मातु त्रिशला धन्य हैं, दिया अनोखा लाल।
जो करके ही गया, सच में बहुत कमाल॥

आओ ! हम सत् मार्ग के, बनें पथिक अति ख़ूब।
मानवता की खोज में, जाएँ हम सब डूब॥

परिचय–प्रो.(डॉ.) शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला (मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में है। आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र) में हुआ है। एम.ए. (इतिहास, प्रावीण्यताधारी), एल.एल.बी. सहित पीएच.-डी.(इतिहास) तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैं। करीब ४ दशकों में देश के ५०० से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में १० हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियाँ आपके खाते में हैं। साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो (३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार) सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं (विशेषांकों) का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य कवि तथा संयोजक-संचालक के साथ ही शोध निदेशक, विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैं। राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार (निबंध-५१ हजार ₹)है।