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बाढ़ में अटके प्राण

दीपक शर्मा

जौनपुर(उत्तर प्रदेश)

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बाढ़ से निकलने के बाद
मेरे प्राण का
आधा हिस्सा ही बचा है मेरी देह में,
आधा अटका हुआ है बाढ़ में।
मेरेे भाई,बहन,मित्र
और बहुत-से सगे सम्बन्धी
फँसे हैं,
अब भी
उस भयावह बाढ़ में।
सुरक्षाबलों से आग्रह है
“मुझे ले चलो फिर वहीं,
जहाँ से खींच के लाये हो किनारे
जहाँ भूख से चीखते-चिल्लाते बच्चे हैं,
जहाँ गोद में बच्चा लिए तड़पती स्त्रियाँ है
और जहाँ काम पर न जा सकने की मजबूरी में,
पाई-पाई को तरसते रोजमर्रा मजदूर हैं।
जहाँ नष्ट हो चुकी है
किसानों की सारी फसलें,
मैं उनके दुःख-दर्द में सहभागी बनना चाहता हूँ
मुझे जान बचने की खुशी नहीं है,
मैं बिल्कुल चैन से नहीं हूँ यहाँ।
मैं यहाँ वैसे ही सुरक्षित हूँ,
जैसे वे वहाँ असुरक्षित हैंll

परिचय-दीपक शर्मा का स्थाई निवास जौनपुर के ग्राम-रामपुर(पो.-जयगोपालगंज केराकत) उत्तर प्रदेश में है। आप काशी हिंदू विश्वविद्यालय से वर्ष २०१८ में परास्नातक पूर्ण करने के बाद पद्मश्री पं.बलवंत राय भट्ट भावरंग स्वर्ण पदक से नवाजे गए हैं। फिलहल विद्यालय में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत हैं।आपकी जन्मतिथि २७ अप्रैल १९९१ है। बी.ए.(ऑनर्स-हिंदी साहित्य) और बी.टी.सी.( प्रतापगढ़-उ.प्र.) सहित एम.ए. तक शिक्षित (हिंदी)हैं। आपकी लेखन विधा कविता,लघुकथा,आलेख तथा समीक्षा भी है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में इनकी कविताएँ व लघुकथा प्रकाशित हैं। विश्वविद्यालय की हिंदी पत्रिका से बतौर सम्पादक भी जुड़े हैं। दीपक शर्मा की लेखनी का उद्देश्य-देश और समाज को नई दिशा देना तथा हिंदी क़ो प्रचारित करते हुए युवा रचनाकारों को साहित्य से जोड़ना है।विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा आपको लेखन के लिए सम्मानित किया जा चुका है।

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