कुल पृष्ठ दर्शन : 221

You are currently viewing बाबूजी की सायकल

बाबूजी की सायकल

ममता तिवारी
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
**************************************

मेरे पिता जी की साईकल स्पर्धा विशेष…..

लम्बी दौड़ लगाती थी,
थकती-न थकाती थी
बाबूजी की सायकल,
हमको बहुत भाती थी।

बिन खर्चे चलती रहती,
हृदय चाप सही रखती
जिम बिना व्यायाम थे,
बोल बिना बातें करती।

दुर्घटना वह दूर रखती,
गिर जाए थोड़ी लगती
पर्यावरण सच्ची साथी,
भारी बोझ भी न डिगती।

जिंदगी जब रुलाती थी,
डॉक्टर वो बैठा लाती थी
हैंडल में टँगे रेडियो सँग,
चलती,हँसती-गाती थी।

पक्की सड़कें या धूल भरी,
ट्रिन-ट्रिन घण्टी बजे खरी
छोटी जगहों खड़ी रहती,
थी कार से ज्यादा जरूरी।

ऑफिस स्कूल मेले-ठेले,
नदी या जाते खेत अकेले।
बाबूजी सायकल घूमते,
पर खर्चे लगते न एक धेले॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

Leave a Reply