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कराहती पृथ्वी

नमिता घोष
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
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विश्व पर्यावरण दिवस विशेष….

‘विश्व पर्यावरण दिवस’ की स्थापना ५ जून १९७२ में संयुक्त राष्ट्र संघ की सभा द्वारा स्टॉकहोम में ‘मानव पर्यावरण’ विषय पर आयोजित सम्मेलन में हुई थी। इसे विश्व स्तर पर प्रतिवर्ष पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने एवं पर्यावरण संरक्षण की गति निर्धारित करने हेतु मनाया जाता है। आज पृथ्वी का कराह रही है,इसलिए हमारे ग्रह को हमारी आवश्यकता है। हमारी जलवायु परिवर्तन की लड़ाई हमें संघबंद होकर विज्ञान को आध्यात्मिकता से जोड़कर लड़ते हुए विकास का मार्ग सशक्त करना होगा। विकास का सपना तभी साकार होगा। मनुष्य भौतिक सुख-सुविधाओं का आदी हो गया है, सड़कों पर वाहनों की भीड़ एवं तेजी से बढ़ रही उद्योगों की संख्या,जनसंख्या वृद्धि,शहरीकरण, औद्योगिक ठोस अपशिष्ट, खतरनाक ठोस अपशिष्ट,जंगलों का जलना तथा कटाई, खदानीकरण दिनों-दिन बढ़ रहे जलवायु मिट्टी एवं ध्वनि प्रदूषण के प्रमुख कारण है। प्रदूषण के कारण ग्लोबल वॉर्मिंग एवं पर्यावरण परिवर्तन जैसी समस्याएं सामने आ रही है। ‘ग्रीन हाउस’ जैसे पृथ्वी से परावर्तित अवरक्त किरणों को अवशोषित कर वायुमंडल को गर्म रखने का कार्य करती है। प्रारंभ में तो यह हमारे लिए वरदान सिद्ध हुई,जब इनकी सहायता से यहां जीवन योग्य तापमान बन सका, किंतु अब इनकी वृद्धि ने वैश्विक तपन के खतरे उत्पन्न कर दिए हैं। इन गैसों की वृद्धि के कारण में-जीवाश्म ईंधनों का दहन,पौधों द्वारा श्वसन, भौगोलिक व रासायनिक परिवर्तन आदि हैं।
एशिया में जलवायु परिवर्तन की रिपोर्ट वाशिंगटन स्थित क्लाइमेट इंस्टिट्यूट ने तैयार की है,जिसमें बताया गया है कि,ग्रीन हाउस गैसों का खतरनाक प्रभाव भारत,पाक,श्रीलंका,बांग्लादेश,इंडोनेशिया, मलेशिया, वियतनाम और फिलीपींस आदि देशों में पड़ेगा। इन देशों में भूमंडलीय ताप वृद्धि के साथ समुद्री सतह वृद्धि का खतरा बढ़ा है। फलस्वरूप मलेरिया,डेंगू,पीला बुखार सहित अन्य कई विषाणु के पनपने से कई बीमारियां फैलेंगी।
हम हमारे जीवन को गतिमान करने वाले संसाधन मुख्य रूप से २ भागों में वर्गीकृत कर सकते हैं-परंपरागत ऊर्जा संसाधन तथा गैर परंपरागत ऊर्जा संसाधन। पवन,जल,समुद्री ऊर्जा एवं अन्य विद्युत आधुनिक जीवन शैली की धड़कन है। वर्तमान में तापीय ऊष्मा स्त्रोत करीब ६५ फीसदी विद्युत उपलब्ध कराते हैं,जल विद्युत हमारी २५ फीसदी आवश्यकता पूर्ण करती है,जबकि नवीकरणीय ऊर्जा से ७ तथा ३ फीसदी विद्युत हम नाभिकीय उर्जा से प्राप्त करते हैं। अतः दीर्घकालीन ऊर्जा आवश्यकता पूर्ति हेतु नाभिकीय स्रोतों के सुरक्षित दोहन का रूप बढ़ाना होगा।
अतः हमें ना केवल राष्ट्रीय योजनाओं पर निर्भर रहना है,अपितु प्रति व्यक्ति इस गंभीर मसले को उतनी ही गंभीरता से सोचें एवं कार्य रूप में परिवर्तित कर ‘पर्यावरण दिवस’ के महत्व को समझें,तभी इस दिवस की सार्थकता होगी।

परिचय-नमिता घोष की शैक्षणिक योग्यता एम.ए.(अर्थशास्त्र),विशारद (संस्कृत)व बी.एड. है। २५ अगस्त को संसार में आई श्रीमती घोष की उपलब्धि सुदीर्घ समय से शिक्षकीय कार्य(शिक्षा विभाग)के साथ सामाजिक दायित्वों एवं लेखन कार्य में अपने को नियोजित करना है। इनकी कविताएं-लेख सतत प्रकाशित होते रहते हैं। बंगला,हिन्दी एवं अंग्रेजी भाषा में भी प्रकाशित काव्य संकलन (आकाश मेरा लक्ष्य घर मेरा सत्य)काफी प्रशंसित रहे हैं। इसके लिए आपको विशेष सम्मान से सम्मानित किया गया,जबकि उल्लेखनीय सम्मान अकादमी अवार्ड (पश्चिम बंगाल),छत्तीसगढ़ बंगला अकादमी, मध्यप्रदेश बंगला अकादमी एवं अखिल भारतीय नाट्य उतसव में श्रेष्ठ अभिनय के लिए है। काव्य लेखन पर अनेक बार श्रेष्ठ सम्मान मिला है। कई सामाजिक साहित्यिक एवं संस्था के महत्वपूर्ण पद पर कार्यरत नमिता घोष ‘राष्ट्र प्रेरणा अवार्ड- २०२०’ से भी विभूषित हुई हैं।

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