डॉ.अरविन्द जैन
भोपाल(मध्यप्रदेश)
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“वातशोणितज : शोथो जानुमध्ये महरूज:,
ज्ञेयः क्रोष्टक शीर्षस्तु स्थूलः कोष्टकशीर्षवत।”
घुटने में वात और रक्त की विकृति से होने वाले जानुगत तीव्र पीड़ायुक्त शोथ (जिससे जनुसन्धि गीदड़ के सिर के समान स्थूल हो जाती है) उसे क्रोष्टुक शीर्ष कहते हैं।
जोड़ों में गंभीर दर्द या अन्य रोग पहले बुजुर्गों में देखे जाते थे, लेकिन अब युवा भी इसका सामना कर रहे हैं। जब व्यक्ति के जोड़ों में चिकनाहट या स्नेहक (लुब्रिकेंट) कम हो जाता है, तो उसे अक्सर इस तरह की समस्या होती है। चलते-फिरते या उठते-बैठते समय हाथ-पैरों के जोड़ों में दर्द होना, अकड़न और उनका कठोर होना, कुछ ऐसे संकेत हैं, जो कमजोर हड्डियों और जोड़ों में चिकनाहट कम होने की निशानी है।
हड्डियों के जोड़ों में एक द्रव होता है, जो जोड़ों को चिकनाई देने का काम करता है, ताकि हड्डियां आपस में न रगड़ें। इसे कार्टिलेज और सिनोवियम भी कहा जाता है। आम बोल-चाल की भाषा में इसे जोड़ों का ग्रीस कहा जाता है, वो इसलिए क्योंकि ग्रीस किसी लोहे के भाग को नरम रखता है।
वास्तव में लंबे समय तक बैठे या खड़े रहना, खराब खान-पान और शराब का अधिक सेवन जैसी गंदी आदतें जोड़ों को प्रभावित करती हैं। बढ़ती उम्र, चोट या बहुत अधिक वजन उठाने से कार्टिलेज टूट सकती है। इससे एक प्रतिक्रिया हो सकती है, जो जोड़ों को नुकसान पहुंचा सकती है। यह गठिया का कारण भी बन सकती है।
इससे बचने के लिए ‘केल’ (एक तरह की गोभी) के सेवन से हड्डियों को मजबूत रखने में मदद मिलती है। केल का ज्यादातर इस्तेमाल सलाद के रूप में किया जाता है। इस पत्तेदार सब्जी में सभी जरूरी पोषक तत्व पाए जाते हैं। यह सब्जी एंटीऑक्सिडेंट बीटा-कैरोटीन और विटामिन ‘सी’ का बढ़िया स्रोत है। इसमें बड़ी मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है, जो हड्डियों और जोड़ों के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है।
ऐसे ही लाल शिमला मिर्च (विटामिन सी) शरीर को कोलेजन बनाने में मदद करती है, जो कार्टिलेज, टेंडन और लिगामेंट्स का हिस्सा है। यह जोड़ों में लचीलापन और मजबूती लाने का काम करता है। इसी तरह लहसुन और प्याज में शक्तिशाली सल्फर यौगिक होता है, जो सूजन और दर्द से लड़ता है। अगर आपको अपने जोड़ों को मजबूत और लचीला बनाना है, तो इनका सब्जी में इस्तेमाल करने के साथ कच्चा भी खाना चाहिए।
अदरक में एंटी इंफ्लेमेटरी और दर्द से लड़ने वाले गुण होते हैं। हड्डियों और जोड़ों के स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने के लिए खाने में या फिर कच्चे रूप में अदरक का सेवन करना चाहिए।
पिज़्ज़ा, मैग्गी, फास्ट फूड्स आदि भी खाने से भी दर्द बनता है। ज्यादा वजन बढ़ने से भी घुटने का दर्द अधिक होने लगता है, इसलिए इलाज़ के साथ वजन घटाना भी जरुरी है।
इसके अलावा आयुर्वेदानुसार-योगराज गुग्गलु, सैंधवादी तेल, महानारायण तेल के सेवन से भी लाभ होता है।
परिचय- डॉ.अरविन्द जैन का जन्म १४ मार्च १९५१ को हुआ है। वर्तमान में आप होशंगाबाद रोड भोपाल में रहते हैं। मध्यप्रदेश के राजाओं वाले शहर भोपाल निवासी डॉ.जैन की शिक्षा बीएएमएस(स्वर्ण पदक ) एम.ए.एम.एस. है। कार्य क्षेत्र में आप सेवानिवृत्त उप संचालक(आयुर्वेद)हैं। सामाजिक गतिविधियों में शाकाहार परिषद् के वर्ष १९८५ से संस्थापक हैं। साथ ही एनआईएमए और हिंदी भवन,हिंदी साहित्य अकादमी सहित कई संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। आपकी लेखन विधा-उपन्यास, स्तम्भ तथा लेख की है। प्रकाशन में आपके खाते में-आनंद,कही अनकही,चार इमली,चौपाल तथा चतुर्भुज आदि हैं। बतौर पुरस्कार लगभग १२ सम्मान-तुलसी साहित्य अकादमी,श्री अम्बिकाप्रसाद दिव्य,वरिष्ठ साहित्कार,उत्कृष्ट चिकित्सक,पूर्वोत्तर साहित्य अकादमी आदि हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी अभिव्यक्ति द्वारा सामाजिक चेतना लाना और आत्म संतुष्टि है।