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मन तरंग

पूनम दुबे
सरगुजा(छत्तीसगढ़) 
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मन तंरग यूँ खोने लगा,
क्यों तुम्हें ढूंढने लगा
आँखों में ना नींद है,
ना नीद में आँखें
कुछ नये सपने बुनने लगा।
मन तरंग…

बिखरी साँसें बिखरी जुल्फें,
क्यों मन मेरा उलझने लगा
हर पल राहों में तेरा चेहरा,
मुझे दिखने लगा।
मन तरंग…

कह रही है सारी फिजाएं,
कहां जा रही हो ऐ सखी
क्या कहूं मैं उनसे,
क्या पा रही हूँ मैं सखी
मन में है उत्साह मिलन का,
उनकी यादों में समाने लगा।
मन तरंग…

तन्हाई में महफ़िल-सी है,
महफ़िल में तन्हाई
दूर रहूं या पास तुम्हारे,
परछाईं संग रहने लगा
चुप रहते-रहते पूनम,
मन मेरा डुबने लगा।
मन तरंग…
क्यों तुम्हें…ll

परिचय-श्रीमती पूनम दुबे का बसेरा अम्बिकापुर,सरगुजा(छत्तीसगढ़)में है। गहमर जिला गाजीपुर(उत्तरप्रदेश)में ३० जनवरी को जन्मीं और मूल निवास-अम्बिकापुर में हीं है। आपकी शिक्षा-स्नातकोत्तर और संगीत विशारद है। साहित्य में उपलब्धियाँ देखें तो-हिन्दी सागर सम्मान (सम्मान पत्र),श्रेष्ठ बुलबुल सम्मान,महामना नवोदित साहित्य सृजन रचनाकार सम्मान( सरगुजा),काव्य मित्र सम्मान (अम्बिकापुर ) प्रमुख है। इसके अतिरिक्त सम्मेलन-संगोष्ठी आदि में सक्रिय सहभागिता के लिए कई सम्मान-पत्र मिले हैं।

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