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मन में प्यार जरूरी

तारा प्रजापत ‘प्रीत’
रातानाड़ा(राजस्थान) 
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अनमोल है मानव चोला
गुरु ने है ये राज खोला,
जीवन-रथ चलाने के लिए
साँसों के तार जरूरी है,
हर मन में प्यार जरूरी है।

गीत सजे हैं रागों में
फूल खिले हैं बागों में,
हर ओर फैली खुशबू है
मौसम में बहार जरूरी है,
हर मन में प्यार जरूरी है।

कठिनाइयों से डरना नहीं
मौत से पहले मरना नहीं,
व्यर्थ की बातें करना मत
हर बात में सार जरूरी है,
हर मन में प्यार जरूरी है।

दुखियों का हम बनें सहारा
नश्वर है ये सकल संसारा,
मन में करुणा का भाव रहे
दीनों पर उपकार जरूरी है,
हर मन में प्यार जरूरी है।

प्रेम-प्यार से हम संवारें घर
सिर झुके सदा ईश्वर के दर।
मानव जाति के हित के लिए,
मानुष में संस्कार जरूरी है
हर मन में प्यार जरूरी है॥

परिचय– श्रीमती तारा प्रजापत का उपनाम ‘प्रीत’ है।आपका नाता राज्य राजस्थान के जोधपुर स्थित रातानाड़ा स्थित गायत्री विहार से है। जन्मतिथि १ जून १९५७ और जन्म स्थान-बीकानेर (राज.) ही है। स्नातक(बी.ए.) तक शिक्षित प्रीत का कार्यक्षेत्र-गृहस्थी है। कई पत्रिकाओं और दो पुस्तकों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं,तो अन्य माध्यमों में भी प्रसारित हैं। आपके लेखन का उद्देश्य पसंद का आम करना है। लेखन विधा में कविता,हाइकु,मुक्तक,ग़ज़ल रचती हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी पर कविताओं का प्रसारण होना है।

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