बाबूलाल शर्मा
सिकंदरा(राजस्थान)
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छायावादी काल में,हुए चार कवि स्तंभ।
महा महादेवी हुई,एक प्रमुख थी खंभ॥
सन उन्नीस सौ सात में,माह मार्च छब्बीस।
जन्म फर्रुखाबाद में,फलित कृपा जगदीश॥
इन्हें आधुनिक काल की,मीरा कह उपनाम।
करे प्रशंसा लोग सब,किए काव्य हितकाम॥
कहे निराला जी बहिन,सरस्वती नव नाम।
भाई सम रखती उन्हें,विपदा में कर थाम॥
उपन्यास लिखती कभी,कथा कहानी गीत।
नारायण वर्मा सुजन,पति साथी मन मीत॥
दीपशिखा अरु नीरजा,सांध्यगीत नीहार।
रश्मि सप्तपर्णा रची,चकित हुआ संसार॥
काव्य अग्निरेखा रचे,और प्रथम आयाम।
रेखा चित्रों में रचित,संस्मरण सुख धाम॥
भाषण और निबंध के,लिखे संकलन अन्य।
गौरा गिल्लू की कथा,पढ़कर हम सब धन्य॥
दीप-गीत नीलांबरा,यामा में लिख गीत।
परिक्रमा अरु सन्धिनी,गीतपर्व शुभ प्रीत॥
मिला पद्मभूषण उन्हें,ज्ञान पीठ सम्मान।
पद्मविभूषण भी मिला,बनी हिंद पहचान॥
माह सितम्बर में गए,ग्यारह दिवस प्रयाग।
सन सत्यासी में मिला,स्वर्ग वास अनुराग॥
नमन करें मन भाव से,वंदन सहित सुजान।
शर्मा बाबू लाल कवि,’विज्ञ’ लिखे शुभ मान॥
परिचय : बाबूलाल शर्मा का साहित्यिक उपनाम-बौहरा है। आपकी जन्मतिथि-१ मई १९६९ तथा जन्म स्थान-सिकन्दरा (दौसा) है। सिकन्दरा में ही आपका आशियाना है।राजस्थान राज्य के सिकन्दरा शहर से रिश्ता रखने वाले श्री शर्मा की शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-अध्यापन (राजकीय सेवा) का है। सामाजिक क्षेत्र में आप `बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ` अभियान एवं सामाजिक सुधार के लिए सक्रिय रहते हैं। लेखन विधा में कविता,कहानी तथा उपन्यास लिखते हैं। शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र में आपको पुरस्कृत किया गया है।आपकी नजर में लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः है।