डाॅ. पूनम अरोरा
ऊधम सिंह नगर(उत्तराखण्ड)
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उसके नगर की डगर पर,
मचल उठा दिल इक दिन
जाने को बेताब,
झूमते-गाते निकल पड़े हम…
मतवाली-सी चाल,
गेहूँ,चना,गन्ना,मक्का के
खेत खूब लहराते,
फल-फूलों के बाग-बगीचे
अपनी शान फहराते…
जर्रे-जर्रे से नूर छलकता,
प्रकृति के गजब नजारे
झुके पेड़ मुस्कुरा रहे थे,
अपना प्यार बरसाते…
झुकी शाखाएं मिलने को थीं,
अपनी बाँहें पसारे…
छोटे-छोटे पौधे खिल रहे थे,
हमसे हाथ मिलाकर…।
थका देख फिर पत्थर ने,
प्यार से मुझे बुलाया
पारिजात ने ली अंगड़ाई,
फूलों की सेज सजाई…
सफेद सन्तरी फूलों से,
सजी डगर मुस्काई
हमने भी फिर बड़े प्रेम से,
गजरे माला बनाई…
बालों में गजरा,गले में माला,
हाथों में कँगना,
पाँव में पायल खनकाई
पारिजात ने फिर लहराकर,
अपना पत्ता गिराया…
माथे की बिंदी और कानों को,
झुमकों से सजाया…।
रंग-बिरंगे पंखों वाले पक्षी,
करने लगे किलोल
चिड़िया,कोयल,तोता-मैना,
बोले मीठे-मीठे बोल…
तभी मैना ने पूछा हमसे-
पूरे हुए सोलह श्रृंगार
मिलने किसको जाना है,
और किधर चली हैं आप…
बड़े प्यार से देखा उसको,
पुलकित हो बतलाया।
आज मेरा ‘प्रणय दिवस’ है,
मेरी रूह के साथ…॥
परिचय–उत्तराखण्ड के जिले ऊधम सिंह नगर में डॉ. पूनम अरोरा स्थाई रुप से बसी हुई हैं। इनका जन्म २२ अगस्त १९६७ को रुद्रपुर (ऊधम सिंह नगर) में हुआ है। शिक्षा- एम.ए.,एम.एड. एवं पीएच-डी.है। आप कार्यक्षेत्र में शिक्षिका हैं। इनकी लेखन विधा गद्य-पद्य(मुक्तक,संस्मरण,कहानी आदि)है। अभी तक शोध कार्य का प्रकाशन हुआ है। डॉ. अरोरा की दृष्टि में पसंदीदा हिन्दी लेखक-खुशवंत सिंह,अमृता प्रीतम एवं हरिवंश राय बच्चन हैं। पिता को ही प्रेरणापुंज मानने वाली डॉ. पूनम की विशेषज्ञता-शिक्षण व प्रशिक्षण में है। इनका जीवन लक्ष्य-षड दर्शन पर किए शोध कार्य में से वैशेषिक दर्शन,न्याय दर्शन आदि की पुस्तक प्रकाशित करवाकर पुस्तकालयों में रखवाना है,ताकि वो भावी शोधपरक विद्यार्थियों के शोध कार्य में मार्गदर्शक बन सकें। कहानी,संस्मरण आदि रचनाओं से साहित्यिक समृद्धि कर समाजसेवा करना भी है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-‘हिंदी भाषा हमारी राष्ट्र भाषा होने के साथ ही अभिव्यक्ति की सरल एवं सहज भाषा है,क्योंकि हिंदी भाषा की लिपि देवनागरी है। हिंदी एवं मातृ भाषा में भावों की अभिव्यक्ति में जो रस आता है, उसकी अनुभूति का अहसास बेहद सुखद होता है।