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‘माँ’ जीवन की हर खुशी

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
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माँ जीवन की हर खुशी, माँ जीवन का गीत।
माँ है तो सब कुछ सुखद, माँ है तो संगीत॥

माँ है मीठी भावना, माँ पावन अहसास।
माँ से ही विश्वास है, माँ से ही है आस॥

वसुधा-सी करुणामयी, माँ दृढ़ ज्यों आकाश।
माँ शुभ का करती सृजन, करे अमंगल नाश॥

माँ बिन रोता आज है, होकर ‘शरद’ अनाथ।
सिर पर से तो उठ गया, आशीषों का हाथ॥

माता सच में धैर्य है, लिये त्याग का सार।
प्रेम-नेह का दीप ले, हर लेती अँधियार॥

पीड़ा, ग़म में भी रखे, अधरों पर मुस्कान।
इसीलिये तो मातु है, आन,बान औ’ शान॥

माता तो है श्रेष्ठ नित, हैं ऊँचे आयाम।
इसीलिये उसको ‘शरद’, बारम्बार प्रणाम॥

नारी ने नर को जना, इसीलिये वह ख़ास।
माता पर भगवान भी, करता है विश्वास॥

माता से ही धर्म हैं, माता से अध्यात्म।
माता से ही देव हैं, माता से परमात्म॥

माता से उपवन सजे, माता है सिंगार।
माता गुण की खान है, माता है उपकार॥

माती शोभा विश्व की, माता है आलोक।
माता से ही हर्ष है, बिन नारी है शोक॥

माता फर्ज़ों से सजी, माता सचमुच वीर।
साहस,कर्मठता लिये, माता हरदम धीर॥

जननी की हो धूप या, भगिनी की हो छाँव।
नारी ने हर रूप में, महकाया है गाँव॥

माता की हो वंदना, निशिदिन स्तुति गान।
माता के सम्मान से, ही है नित उत्थान॥

परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।

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