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माँ तू कितनी प्यारी है

मालती मिश्रा ‘मयंती’
दिल्ली
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मातृ दिवस स्पर्धा विशेष…………


हे मात तुझे शत-शत वंदन,
शब्दों से करती अभिनंदन।
गर पा जाऊँ एक अवसर मैं,
कर दूँ तुझ पर जीवन अर्पण।
अपनी सारी ममता माँ ने,
निज बच्चों पर वारी है।
माँ तू कितनी भोली है,
माँ तू कितनी प्यारी है।

बच्चों का बचपन माँ से है,
गोद में दुनिया समाई है।
हर मुश्किल में खड़ी रही,
माँ तू बनकर परछाई है।
इस कच्चे मन के अंतस को,
देकर संस्कार सजाया है।
इंसानों की भीड़ में मुझको,
मुझसे परिचित करवाया है।
माँ तेरी ही ममता से तो,
खुशियों की किलकारी है।
माँ तू कितनी भोली है,
माँ तू कितनी प्यारी है।

देती है हरपल ज्ञान हमें,
हर अच्छा-बुरा बताती है।
बनकर पहली गुरु बच्चों की,
जीवन का पाठ पढ़ाती है।
शीत में मीठी धूप है माँ,
खुशियों की फुलवारी है।
माँ तू कितनी भोली है,
माँ तू कितनी प्यारी है।

उँगली पकड़ चलना सीखा,
निज पैरों पर मैं खड़ी हुई।
तेरी ममता की छाया में,
मैं ना जाने कब बड़ी हुई।
अच्छी हूँ या कि बुरी हूँ माँ,
हूँ झूठी या फिर सच्ची हूँ।
दुनिया की नजर में बड़ी हुई,
पर आज भी तेरी बच्ची हूँ।
मेरे सब स्वप्न सजाने को,
अपनी नींदें वारी है।
माँ तू कितनी भोली है,
माँ तू कितनी प्यारी है॥

परिचय-मालती मिश्रा का साहित्यिक उपनाम ‘मयंती’ है। ३० अक्टूबर १९७७ को उत्तर प्रदेश केसंत कबीर नगर में जन्मीं हैं। वर्तमान में दिल्ली में बसी हुई हैं। मालती मिश्रा की शिक्षा-स्नातकोत्तर (हिन्दी)और कार्यक्षेत्र-अध्यापन का है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप साहित्य सेवा में सक्रिय हैं तो लेखन विधा-काव्य(छंदमुक्त, छंदाधारित),कहानी और लेख है।भाषा ज्ञान-हिन्दी तथा अंग्रेजी का है। २ एकल पुस्तकें-अन्तर्ध्वनि (काव्य संग्रह) और इंतजार (कहानी संग्रह) प्रकाशित है तो ३ साझा संग्रह में भी रचना है। कई पत्र-पत्रिकाओं में काव्य व लेख प्रकाशित होते रहते हैं। ब्लॉग पर भी लिखते हैं। इनकी लेखनी का उद्देश्य-साहित्य सेवा,हिन्दी भाषा का प्रसार तथा नारी जागरूकता है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-अन्तर्मन से स्वतः प्रेरित होना है।विशेषज्ञता-कहानी लेखन में है तो रुचि-पठन-पाठन में है।

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