कुल पृष्ठ दर्शन : 269

You are currently viewing माँ

माँ

सुशीला जोशी 
मुजफ्फरनगर(उतार प्रदेश)

************************************************************

मातृ दिवस स्पर्धा विशेष…………


इतनी बड़ी हवेली में
इकली कैसे रहती माँ,
बड़ी-बड़ी विपदाओं को
चुप-चुप कैसे सहती माँ।

कमर झुकी जर्जर काया
फिर भी चल-फिर लेती माँ,
मुझे आता हुआ देखे
रोटी सेक है देती माँ।

खाँसी आती है माँ को
झट से मुँह ढँक लेती माँ,
मेरी नींद न खुल जाए
मुँह हाथ धर लेती माँ।

उलझन में जब मन होता तो
चेहरा पढ़ समझती माँ,
होकर चुप निकट बैठ
शीश हाथ धर देती माँl

खुद भुनती है बुखार में
मेरा सिर थपयाती माँ,
गर्म तवे पर कपड़ा रखकर
मेरी सेकती छाती माँ।

कभी न मांगे मुझसे कुछ
जीवन कैसे जीती माँ,
थोड़ा-थोड़ा बचा-बचा कर
सभी मुझे दे देती माँ।

किसी काम के न होने पर
चुप होकर रह जाती माँ,
अगले ही पल लिपट गले
सभी भूल है जाती माँ।

Leave a Reply