ममता तिवारी
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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चौपाई आधारित….
वंदनीय अनुपम अलौकिक,
भारती पर्यावरण सार।
जीते पूत मान पिता दे
मृत्युपरांत करे उद्धार॥
तीन ऋण सभी पर होते
देव,पितृ और ऋषि महान।
श्राद्ध पक्ष पितर को अपने
आदर कर सद्गति प्रदान॥
देव प्रसन्न यज्ञ भाग से
ऋषि प्रसन्न सद्गुण सत्कर्म।
पितृ श्रद्धा श्राद्ध करे से
मूल वाक्य सनातन धर्म॥
पूर्वज के शुभ आशीष से
फूले-फले हम होते दीप्त।
कर्तव्य यही अनुग्रहित हो
पूर्वज करें अपने हम तृप्त॥
अश्विन कृष्ण पक्ष पितरों को
समर्पित है वर्ष के माह।
दान दया वैज्ञानिक पुष्टि
धर्म की मर्म चलते राह॥
सूक्ष्म रूप में पितृ लोक से
पंद्रह दिन पितर है आते।
स्वर्ग द्वार खुले रहते पर
काग को क्यों पितर खिलाते॥
वर्षा से पशु-पक्षी आहत
दाना-पानी सीमित संसार।
गृह पास भोजन मिल जाते
कागा संसर्ग मौसम क्वार॥
पशु-पक्षी तथा सृष्टि संरक्षण
पर्यावरणी धर्म आधार।
इस श्रेष्ठ धर्म उद्देश्य बड़ा
मानो सब मिल कर आभार॥
परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।