मीरा जैन
उज्जैन(मध्यप्रदेश)
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आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बावजूद आज मेवालाल बेहद खुश था, क्योंकि फुटपाथ पर लेटे-बैठे ठंड से ठिठुरते लोगों को मुफ्त में चाय पिलाने की तमन्ना आज पूरी जो हो रही थी, उसकी इस अप्रत्याशित उदारता को देख परिचित बुजुर्ग ने पूछ ही लिया-
‘मेवालाल ! मुझे मालूम है इस चाय की गुमटी से तुम्हारा घर खर्च भी बमुश्किल चल पाता है, आज तुम मुफ्त में घूम-घूम कर चाय पिला रहे हो, क्या कोई लॉटरी लग गई है ?’
मेवालाल ने हँसते हुए जवाब दिया-
‘हाँ चाचा ! यह समझो लॉटरी ही लग गई है।’
उत्सुकतावश बुजुर्ग ने पुनः पूछा-
‘वाह ! यह तो बहुत अच्छी बात है। मुझे भी बताओ, कौन-सी लॉटरी लगी है ?’
दोगुने उत्साह के साथ मेवालाल का स्वर प्रस्फुटित हुआ-
‘ईमानदारी की लाटरी।’
‘क्या ?’
बुजुर्ग का मुँह आश्चर्य से खुला का खुला रह गया-
‘हाँ चाचा ! कल जब मैं अपना ठेला लगाने नियत स्थान पर आया, तब मुझे २०० का नोट पड़ा मिला, आसपास देखा किंतु कोई नजर नहीं आया किसे देता! उस नोट को अपने पास ही रख लिया और सोचा शुरू में जो ४० ग्राहक आएंगे, उन्हें मुफ्त में ही चाय पिलाऊंगा, लेकिन ग्राहकों को मुफ्त में चाय पीना मंजूर नहीं था, इसलिए किसी ने यह कहते हुए १०, २०, ५० और १०० ₹ के नोट तक दे दिए कि, इनसे किसी जरूरतमंद को चाय पिला देना और सबसे ज्यादा खुशी इस बात की है कि, मैं इन जरूरतमंद लोगों को ठंड के मौसम में रोज सुबह-सुबह मुफ्त में चाय पिला पाऊंगा।’
‘इतने कम पैसों में यह कैसे संभव है ?’
‘चाचा ! आपकी तरह कई लोगों ने मुझसे यही सवाल किया, तब उन्हें मैने वास्तविक स्थिति से अवगत कराया तो, सभी ने इस अभियान से जुड़ने तथा औरों को भी जोड़ने की बात कहते हुए हाथों-हाथ जेब से रुपए निकाल कर दे दिए।’
परिचय-श्रीमति मीरा जैन का जन्म २ नवम्बर को जगदलपुर (बस्तर)छत्तीसगढ़ में हुआ है। शिक्षा-स्नातक है। आपकी १००० से अधिक रचनाएँ अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से व्यंग्य,लघुकथा व अन्य रचनाओं का प्रसारण भी हुआ है। प्रकाशित किताबों में-‘मीरा जैन की सौ लघुकथाएं (२००३)’ सहित ‘१०१ लघुकथाएं’ आदि हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-वर्ष २०११ में ‘मीरा जैन की सौ लघुकथाएं’ हैं। आपकी पुस्तक पर विक्रम विश्वविद्यालय (उज्जैन) द्वारा शोध कार्य करवाया जा चुका है,तो अनेक भाषा में रचनाओं का अनुवाद एवं प्रकाशन हो भी चुका है। पुरस्कार में अंतर्राष्ट्रीय,राष्ट्रीय तथा राज्य स्तरीय कई पुरस्कार मिले हैं। प्राइड स्टोरी अवार्ड २०१४,वरिष्ठ लघुकथाकार साहित्य सम्मान २०१३ तथा हिंदी सेवा सम्मान २०१५ से भी सम्मानित किया गया है। २०१९ में भारत सरकार के विद्वानों की सूची में आपका नाम दर्ज है। श्रीमती जैन कई संस्थाओं से भी जुड़ी हुई हैं। बालिका-महिला सुरक्षा,उनका विकास,कन्या भ्रूण हत्या एवं बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ आदि कई सामाजिक अभियानों में भी सतत संलग्न हैं।