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मेघा रे बरस…

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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ओ मेघा रे…

मेघा रे तू बरस,
धरती की प्यास बुझा
किसान के मन की,
आस जगा।

इन्द्र की मुस्कान बन,
बारिश की झड़ी लगा
झरनों की कल-कल से,
पर्वतों की शान बढ़ा।

कब से आस लगा बैठे हैं,
मायूस बन किसान बैठे हैं
धरती सूखी पनघट सूखा,
अब ना दिल की धड़कन बढ़ा।

सावन बीता जा रहा है,
जीवन में खुशहाली ला
नौनिहालों में मस्ती भर दे,
जन-जन में विश्वास जगा।

फिर से हरे-भरे हों पौधे,
कोयल भी कूहू-कूहू बोले।
झूम उठे मवेशी सारे,
रिमझिम-रिमझिम झड़ी लगा॥

परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।

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